देहरादून: बुधवार को सचिवालय में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में कुल 29 प्रस्ताव सामने आए, जिसमें से 27 विषयों पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगाई. राज्य कैबिनेट ने जहां एक तरफ चीनी कंपनियों के साथ व्यापार और ग्लोबल टेंडर प्रक्रिया में भारत सरकार की नीति को अपनाने का निर्णय लिया, तो वहीं 15 दिसंबर से राज्य में उच्च शिक्षण संस्थान खोले जाने का भी फैसला किया गया है.


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कोविड-19 की वैक्सीन को लेकर हुआ प्रेजेंटेशन
इसके साथ कोविड-19 वैक्सीन के टीकाकरण को लेकर राज्य सरकार द्वारा गठित की गई टास्कफोर्स और तैयारी का कैबिनेट के सामने प्रेजेंटेशन किया गया. जिसमें बताया गया कि पहले फेज में 20% लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी, जिसमें फ्रंट लाइन में काम करने वाले कोविड वारियर्स और 55 साल से अधिक उम्र के लोगों को शामिल किया जाएगा.


15 दिसंबर से खुलेंगे उच्च शिक्षण संस्थान
राज्य कैबिनेट ने उच्च शिक्षण संस्थानों को खोले जाने का निर्णय भी लिया है. 15 दिसंबर से गाइडलाइन का पालन करते हुए उच्च शिक्षण संस्थान खुल सकेंगे. बता दें कि सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क का प्रयोग व कोविड-19 के सभी नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा.


इन परिवारों को 100 रुपए में मिलेगा पानी का कनेक्शन
प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में बीपीएल परिवार या 100 वर्ग मीटर से कम भूमि वाले परिवारों को 100 रुपए में पानी का कनेक्शन दिया जाएगा.


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इन मेडिकल कॉलेज में पदों के सृजन की दी अनुमति
राज्य कैबिनेट ने दून मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशलिस्ट के 44 पदों के सृजन की अनुमति दी है. इसके अलावा रुद्रपुर मेडिकल कॉलेज में 927 पदों के सृजन की भी अनुमति दी गई है. इसके अलावा राज्य कैबिनेट ने उत्तराखंड शहीद आश्रित अनुग्रह अनुदान अधिनियम 2020 को भी मंजूरी दे दी है.  


उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग अधिनियम 2014 में संशोधन किया. जिसके तहत अब पुलिस भर्ती की परीक्षा भी अधीनस्थ सेवा आयोग करेगा.


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चीनी कंपनियों के उत्पादों पर राज्य सरकार का होगा नियंत्रण
शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि राज्य कैबिनेट ने उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली 2017 में संशोधन करते हुए केंद्र सरकार के प्राविधानों को ज्यों का त्यों अपनाने का फैसला किया है. जिसका सीधा असर अब चीनी कंपनियों के उत्तराखंड में व्यापार या कामकाज पर पड़ेगा.


ग्लोबल टेंडर के दौर में भारत सरकार द्वारा किए गए प्रावधानों को राज्य में भी उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली के जरिए लागू करने का राज्य कैबिनेट ने फैसला लिया है. इसके बाद सीधे तौर पर माना जा रहा है कि एक तरीके से चीनी कंपनियों के उत्पादों पर अब राज्य सरकार भी नियंत्रण करेगी.


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