उन्नाव केस: सुप्रीम कोर्ट में आज भी होगी सुनवाई; SC दे सकता है पीड़िता को एम्स में भर्ती करने का आदेश
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उन्नाव केस: सुप्रीम कोर्ट में आज भी होगी सुनवाई; SC दे सकता है पीड़िता को एम्स में भर्ती करने का आदेश

दरअसल, पीड़िता को एम्स में भर्ती करने के मसले पर कोर्ट ने परिवार से राय मांगी है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले से जुड़े सभी 5 मामलों को यूपी से दिल्‍ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया था. 

(फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली : उन्नाव रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट आज फिर सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ आज पीड़िता को एम्स में भर्ती करने और उनके चाचा को रायबरेली जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल में शिफ्ट करने पर आदेश दे सकती है. 

दरअसल, पीड़िता को एम्स में भर्ती करने के मसले पर कोर्ट ने परिवार से राय मांगी है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले से जुड़े सभी 5 मामलों को यूपी से दिल्‍ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया था. ये पांच मामलें, जिनमें पहला मामला- पीड़िता से रेप, दूसरा मामला- पीड़िता से गैंगरेप, तीसरा मामला- पीड़िता के पिता की झूठे केस में गिरफ्तारी और पिटाई, चौथा मामला- पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत और पांचवां मामला- रोड एक्सिडेंट का है. ये 5 केस तीस हजारी कोर्ट में ट्रांसफर किए गए हैं. ये 5 केस जिला जज धर्मेश शर्मा की कोर्ट में ट्रांसफर हुए हैं. 

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तीस हजारी कोर्ट को 45 दिन में ट्रायल पूरा करना होगा. इस मामले में दिन प्रतिदिन दिन सुनवाई होगी. इसके अलावा पीड़िता को एम्स में भर्ती करने को लेकर परिवार की राय मांगी गई है. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि वो पीड़ित परिवार को ₹25 लाख का मुआवजा दे. कोर्ट ने पीड़ित परिवार को CRPF सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया था. साथ ही कोर्ट ने कहा था कि अगर रेप पीड़िता चाहे तो हम उसे इलाज के लिए लखनऊ से दिल्‍ली एयरलिफ्ट करने का आदेश दे सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट से रेप पीड़िता के चाचा को रायबरेली जेल से दिल्‍ली की तिहाड़ जेल ट्रांसफर करने की भी मांग की गई है.

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यह पता लगाने के लिए जांच का आदेश दिया था कि क्या रजिस्ट्री के अधिकारियों की लापरवाही के कारण मुख्य न्यायाधीश को उन्नाव पीड़िता के परिजनों का पत्र प्राप्त नहीं हो सका. उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के परिवार ने जान का खतरा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को एक पत्र लिखा था, जो उन्हें समय पर प्राप्त नहीं हो सका, अब इसके संबंध में जांच के आदेश दिए गए हैं. रजिस्ट्री ने बताया था कि प्रति माह विभाग को पांच हजार आवेदन आते हैं. इसके कारण मुख्य पत्रों और आवेदनों की छंटनी में समय लगता है.महासचिव ने पीठ को बताया कि जुलाई महीने में विभाग को छह हजार के करीब आवेदन प्राप्त हुए हैं. महासचिव ने कहा कि 1998 से एक स्क्रीनिंग प्रक्रिया अपनाई गई है, इस कारण पीड़िता के नाम की जानकारी रजिस्ट्री को नहीं थी.

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