UP: DGP ओपी सिंह 31 जनवरी को हो जाएंगे रिटायर, जानिए कौन बन सकता है उत्तराधिकारी
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UP: DGP ओपी सिंह 31 जनवरी को हो जाएंगे रिटायर, जानिए कौन बन सकता है उत्तराधिकारी

प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था संभालने वाले पुलिस विभाग के इस सबसे बड़े पद के लिए कई दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं. 

उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) ओपी सिंह (OP Singh) आगामी 31 जनवरी को सेवानिवृत्त (Retire) होने जा रहे हैं. (फाइल फोटो)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) ओपी सिंह (OP Singh) आगामी 31 जनवरी को सेवानिवृत्त (Retire) होने जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि ओपी सिंह को सेवा विस्तार भी दिया जा सकता है. हालांकि, इसके आसार कम ही नजर आ रहे हैं. वहीं, इन सबके बीच डीजीपी के रिटायरमेंट से पहले उनके उत्तराधिकारी को लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं. प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था संभालने वाले पुलिस विभाग के इस सबसे बड़े पद के लिए कई दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं. 

फिलहाल, उत्तर प्रदेश पुलिस के नए डीजीपी की रेस में सबसे आगे 1985 बैच के आईपीएस हितेश चंद्र अवस्थी का नाम चल रहा है. हितेश चंद्र अवस्थी वर्तमान में सतर्कता अधिष्ठान के निदेशक पद पर कार्यरत हैं और वह अपने पद से जून 2021 में सेवानिवृत्त होंगे. हितेश चंद्र अवस्थी की गिनती साफ और ईमानदार छवि के अफसरों में की जाती है. आईपीएस के तौर पर अपने करियर के दौरान वह करीब 14 वर्षों तक सीबीआई में भी तैनात रहे हैं.

हितेश चंद्र अवस्थी और अरुण कुमार डीजीपी की रेस में सबसे आगे
हितेश चंद्र अवस्थी के बाद यूपी का डीजीपी बनने की रेस में तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी अरुण कुमार का नाम भी सामने आ रहा है. साल 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी अरुण कुमार भी जून 2021 में सेवानिवृत्त होंगे. यूपी एसटीएफ के गठन में अहम भूमिका निभाने वाले अरुण कुमार समाजवादी पार्टी सरकार के कार्यकाल में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर रह चुके हैं. साल 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के बाद तत्कालीन अखिलेश सरकार ने अरुण कुमार को उनके पद से हटा दिया था. अरुण कुमार वर्तमान में डीजी आरपीएफ के पद पर तैनात हैं. 

इन दोनों के अलावा वर्तमान में उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (डीजी इकनॉमिक ऑफेंसेज विंग) के महानिदेशक पद पर तैनात, 1987 बैच के आईपीएस अफसर राजेंद्र पाल सिंह का नाम भी यूपी के डीजीपी बनने की रेस में है. आरपी सिंह फरवरी 2023 में सेवानिवृत्त होंगे. आरपी सिंह के पास वर्तमान में ईओडब्ल्यू के अलावा एसआईटी का भी चार्ज है. यूपीपीसीएल पीएफ घोटाले की जांच भी उन्हीं के नेतृत्व में हो रही है.

आरके विश्वकर्मा और आनंद कुमार का नाम भी डीजीपी की चर्चा में
वर्ष 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी आरके विश्वकर्मा भी यूपी के डीजीपी बनने की रेस में हैं. वर्तमान में उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड के डीजी पद पर तैनात आरके विश्वकर्मा की गिनती भी तेजतर्रार आईपीएस अफसरों में की जाती है. वहीं, वर्ष 1988 बैच के आईपीएस डीजी जेल, आनंद कुमार का नाम भी यूपी के डीपीजी बनने की चर्चा में शामिल है. सूबे की वर्तमान योगी आदित्यनाथ सरकार में आनंद कुमार लंबे समय तक एडीजी लॉ एंड ऑर्डर पद पर तैनात रह चुके हैं. 

फिलहाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आनंद कुमार को जेलों में चल रही अराजकता से निपटने के लिए उन्हें आईजी जेल की जिम्मेदारी सौंपी है. उत्तर प्रदेश की जेलों में सुधार के लिए आनंद कुमार द्वारा किए गए कामों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान काफी सराहा था. आनंद कुमार के पास डीजी जेल के अलावा डीजी होमगार्ड डिपार्टमेंट का अतिरिक्त प्रभार भी है.

इस साल मार्च तक डीजी स्तर के छह अधिकारी हो जाएंगे सेवानिवृत्त
यूपी के डीजीपी ओपी सिंह के अलावा जनवरी में 'डीजी इंटेलिजेंस' भवेश कुमार सिंह और 'डीजी विशेष जांच' महेंद्र कुमार मोदी भी सेवानिवृत्त हो रहे हैं. इसके अलावा फरवरी में 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी डीएल रत्नम, जो वर्तमान में 'डीजीमानवाधिकार' पद पर तैनात हैं, सेवानिवृत्त हो रहे हैं. 

वहीं, समाजवादी पार्टी की सरकार में उत्तर प्रदेश के डीजीपी रहे जावीद अहमद और डीजी सीबीसीआईडी वीरेंद्र कुमार भी रिटायर हो रहे हैं. हालांकि, जावीद अहमद इसी महीने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौट आए हैं. चर्चा है कि रिटायरमेंट के बाद यूपी के डीजीपी ओपी सिंह को सूबे का मुख्य सूचना आयुक्त बनाया जा सकता है. 

गौरतलब है कि ओपी सिंह ने करीब 2 साल यूपी डीजीपी पद पर अपनी सेवाएं दी हैं. ओपी सिंह ने पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह के सेवानिवृत्त होने के बाद 31 दिसंबर 2017 को यह पद संभाला था. ओपी सिंह 1983 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. इससे पहले वह डीजी सीआईएसएफ के पद पर भी रह चुके हैं. नेपाल से लगी सीमा के लखीमपुर खीरी जिले में पुलिस प्रमुख के रूप में तैनात रहने के दौरान ओपी​सिंह ने आतंकवाद से निपटने के लिए नई रणनीतिक कदम उठाए थे. उन्होंने 1992-93 में इस क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों का सफाया किया था.

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