Meerut News: इस प्राचीन मंदिर का रावण से है सीधा संबंध, जानें क्या है 40 दिन दीप जलाने और चमत्कार की मान्यता
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Meerut News: इस प्राचीन मंदिर का रावण से है सीधा संबंध, जानें क्या है 40 दिन दीप जलाने और चमत्कार की मान्यता

Shri Bilveswar Mahadev Temple Meerut : मेरठ में एक ऐतिहासिक मंदिर हैं जिसका सीधा संबंध रामायण काल से है. इस मंदिर का नाम बाबा बिल्वेश्वर नाथ मंदिर है जहां पर शिवजी की अनन्य भक्त मंदोदरी शिव जी की पूजा करने के लिए आया करती थी.

Shri Bilveswar Mahadev Temple  (फाइल फोटो)

Shri Bilveswar Mahadev Temple Meerut : मेरठ में एक ऐतिहासिक मंदिर हैं जिसका नाम है बाबा बिल्वेश्वर नाथ मंदिर. इस प्राचीन मंदिर का संबंध रामायण काल से बताया जाता है. मंदिर को लेकर ऐसी कथाएं प्रचलित हैं कि मंदोदरी जोकि दशानन रावण की पत्नी थी मंदिर में पूजा करने आया करती थीं. मेरठ जिसका पुराना नाम मयराष्ट्र था, इस नगरी को लेकर कहा जाता है कि यह मंदोदरी के पिता मय दानव की थी. इस मंदिर में मंदोदरी की पूजा अर्चना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उनकी मनोकामना पूर्ण की थी. 

मराठों मंदिर का जीर्णोद्धार 
मेरठ शहर के सदर इलाके में बाबा बिल्वेश्वर नाथ का मंदिर स्थित है. इस मंदिर का जीर्णोद्धार मराठों के द्वारा करवाया गया था. इस जगह पर एक समय बहुत अधिक बिल्व वृक्ष पाए जाते थे, यह पूरा एरिया ही बिल्व वृक्ष का जंगल था और इन्हीं पेड़ों के बीच मंदिर के स्थित होने के कारण इसका नाम बिल्वेश्वर नाथ मंदिर रखा गया. मराठा शैली में यहां पूरा मंदिर मनाया गया है, जहां पर सावन के महीने में जलाभिषेक के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं. स्वयंभू शिवलिंग इस मंदिर में विराजमान है जो कि धातु के बने हैं, जिनसे लोगों की अपार भक्ति है.  

मंदोदरी की इच्छा हुई थी पूरी 
इतिहासकारों की माने तो मौजूदा समय में कोतवाली थाने के टीले पर ही मय दानव का खेड़ा यानी टिला था और इसी टीले पर मय दानव का महल हुआ करता था जहां से  बिल्वेश्वर नाथ मंदिर में मंदोदरी पहुंचती थी और भगवान शिव की पूजा अर्चना किया करती थी. शिव की अनन्य भक्त मंदोदरी को इस मंदिर में भगवान शिव ने दर्श दिया था. मंदोदरी ने इच्छा रखी थी कि दुनिया के सबसे शक्तिशाली और विद्वान व्यक्ति से उसका विवाह हो. मंदोदरी की इस मनोकामना तो भगवान शिव ने पूर्ण किया जिसके परिणाम स्वरूप रावण और मंदोदरी का विवाह हुआ. 

40 दिन तक दीप जलाने की प्रथा
ऐसी मान्यता है कि मंदिर में विशेष रूप से रुद्राभिषेक किए जाने का मान्यता है और सावन में तो मंदिर आकर पूजा करने वाली कुंवारी लड़कियों की संख्या और अधिक हो जाती है. मंदिर में 40 दिन तक दीप जलाया जाए जाने की मान्यता है जिसके द्वारा भक्त अपनी मनोकामना पूरी कर सकता है.

घंटे से अलग तरह की ध्वनि
बिल्वेश्वर नाथ महादेव मंदिर के ढांचे की बात करें तो इसका मुख्य द्वार एक बद्रीनाम धाम जैसा दिखाई पड़ता है. मंदिर के अंदर के द्वार छोटे हैं जहां प्रवेश करने के लिए झुकना पड़ता है. अंदर ही एक पीतल का पेड़ है जहां लगाए गए घंटे से अलग तरह की ध्वनि निकलती है. अंदर एक कुआं भी हैं जिसके बारे में कहा जाता है कि इसी कुएं के जल को शिवलिंग पर मंदोदरी अर्पित किया करती थी.

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