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बेजोड़ स्वाद और बनारसी अंदाज, 100 साल से ज्यादा पुरानी चाची की कचौड़ी के राजनेताओं से लेकर राजेश खन्ना तक थे दीवाने, जानें इतिहास

मठ-मंदिर, शिवालयों और गंगा घाटों के लिए प्रसिद्ध काशी अपने लजीज खानपान के लिए भी खूब प्रसिद्ध है.

बुलडोजर चला, लेकिन हौसला नहीं टूटा

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बुलडोजर चला, लेकिन हौसला नहीं टूटा

वाराणसी में सड़क चौड़ीकरण के चलते चाची की कचौड़ी की ऐतिहासिक दुकान पिछले दिनों पीडब्ल्यूडी की कार्यवाही में ध्वस्त कर दी गई, लेकिन कुछ ही दिनों में चाची की दुकान फिर से रविदास गेट के सामने नए स्थान पर शुरू कर दी गई. यह पुरानी दुकान के सामने ही है.

स्वाद के साथ बनारसी अंदाज़ का तड़का

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स्वाद के साथ बनारसी अंदाज़ का तड़का

चाची की कचौड़ी की दुकान की खास बात सिर्फ गरमा-गरम कचौड़ी और मटका जलेबी नहीं, बल्कि चाची की ‘बनारसी गालियां’ भी थीं. लोग इन गालियों को आशीर्वाद मानते थे और मजे से सुनते थे.

सेलिब्रिटी से लेकर छात्र तक के पसंदीदा ठिकाना

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सेलिब्रिटी से लेकर छात्र तक के पसंदीदा ठिकाना

जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा से लेकर अभिनेता राजेश खन्ना तक इस दुकान के दीवाने रहे हैं. BHU के छात्र तो परीक्षा में जाने से पहले चाची की गाली को शुभ मानते थे. माना जाता है कि कोई शुभ और नेक काम से पहले चाची की कचौड़ी खाने से सफलता मिलती है. 

हर दिन हजारों की भीड़

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हर दिन हजारों की भीड़

चाची की कचौड़ी की दुकान में रोज़ सुबह-शाम 600 से ज्यादा कचौड़ियां बनतीं और दो घंटे में ही 200 से अधिक लोग स्वाद का आनंद लेते थे. सीताफल की चटपटी सब्ज़ी और हींग वाली कचौड़ी का कॉम्बिनेशन लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है.

चाची की कचौड़ी की इतिहास

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चाची की कचौड़ी की इतिहास

वाराणसी के लंका क्षेत्र की 'चाची कचौड़ी' की दुकान 1915 में छन्नी देवी उर्फ़ ‘चाची’ ने शुरू की थी. यह सिर्फ एक नाश्ते की दुकान नहीं, बल्कि बनारसी संस्कृति, स्वाद और अंदाज़ का अनोखा संगम रही है.

अब ‘चाची 2.0’ के रूप में नई शुरुआत

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अब ‘चाची 2.0’ के रूप में नई शुरुआत

चाची के बेटे कैलाश यादव और पोते आकाश ने दुर्गाकुंड में ‘चाची 2.0’ नाम से एक नया रेस्टोरेंट शुरू किया है. वे चाहते हैं कि सरकार इस ऐतिहासिक दुकान के पुनर्वास की जिम्मेदारी उठाए. 

बनारस के स्वाद और तेवर की पहचान

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बनारस के स्वाद और तेवर की पहचान

'चाची कचौड़ी' अब सिर्फ एक दुकान नहीं, बल्कि बनारस की पहचान बन चुकी है. इसका स्वाद, शैली और इतिहास आने वाली पीढ़ियों को बनारसी ज़िंदगी का जायका देता रहेगा.

 

Disclaimer

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Disclaimer

लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है.एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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