हाईकोर्ट का निर्णय शिक्षा स्तर सुधारने का मौका : उप्र सरकार
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हाईकोर्ट का निर्णय शिक्षा स्तर सुधारने का मौका : उप्र सरकार

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी ने सभी मंत्रियों, विधायकों, सांसदों तथा सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को अपने बच्चों को सरकारी प्राथमिक पाठशालाओं में पढ़ाने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए आज यहां कहा कि यह शिक्षा के स्तर को सुधारने का अवसर है।

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी ने सभी मंत्रियों, विधायकों, सांसदों तथा सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को अपने बच्चों को सरकारी प्राथमिक पाठशालाओं में पढ़ाने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए आज यहां कहा कि यह शिक्षा के स्तर को सुधारने का अवसर है।

बेसिक शिक्षा मंत्री चौधरी ने आज विधानसभा में शून्यकाल के दौरान भाजपा के सुरेश खन्ना के एक स्थगन प्रस्ताव का जवाब देते हुए कहा कि उच्च न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य है, इससे शिक्षा का स्तर सुधारने का अवसर मिलेगा।

उन्होंने कहा कि वह पहले भी कहते रहे हैं कि शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए सभी विधायकों को अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना चाहिए, चौधरी ने कहा, ‘मैं आईएएस और पीसीएस संघों, न्यायाधीशों एवं सभी सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों को पत्र लिखकर अपने बच्चों को सरकारी प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने का आग्रह करूंगा।’ उन्होंने कहा कि समाजवादी हमेशा से सबको समान शिक्षा की वकालत करते रहे हैं।

खन्ना ने यह मामला उठाते हुए कहा था कि इस मांग को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने वाले शिवकुमार पाठक को सम्मानित किया जाना चाहिए था, मगर सरकार ने उसे नौकरी से ही बख्रास्त कर दिया। चौधरी ने खन्ना की जानकारी को अधूरी बताते हुए कहा कि पाठक को प्रशिक्षण अवधि में अनुमति के बिना बार-बार अनुपस्थित रहने के कारण बख्रास्त किया गया है।

बेसिक शिक्षा मंत्री ने भाजपा सदस्य के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि पाठक को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय आने के पांच दिन पहले ही बख्रास्त कर दिया गया था, क्योंकि वे प्रशिक्षण अवधि में बार-बार अनुपस्थित रहने का कोई संतोष जनक उत्तर नहीं दे पाये थे। उन्होंने कहा कि एक न्यूज चैनल ने दोनों मामलों को एक साथ जोड़ कर भ्रम फैला दिया।

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