दलितों के मसीहा कांशीराम किसके, मायावती से पहले सपा ने किया याद, बीजेपी ने भी 2027 की बिछाई बिसात
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दलितों के मसीहा कांशीराम किसके, मायावती से पहले सपा ने किया याद, बीजेपी ने भी 2027 की बिछाई बिसात

Kanshiram Birth Anniversary: बसपा के संस्‍थापक कांशीराम की आज जयंती है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांशीराम को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान अन्‍य राजनीतिक दल भी पीछे नहीं रहे. 

फाइल फोटो
फाइल फोटो

UP Politics: प्रदेश में दलित मतदाताओं की संख्या 22 फीसदी है, जो किसी भी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाता है. ऐसे में आज बसपा के संस्थापक कांशीराम की जयंती पर दलितों को अपने खेमे में लाने के लिए तमाम राजनीतिक दलों ने बड़े स्तर पर तैयारी की है. जहां कांग्रेस एक बार फिर दलितों में अपने खोए जनाधार को तलाश रही है तो वहीं सत्तारूढ़ दल भाजपा और यूपी की मुख्य विपक्षी पार्टी सपा भी पीछे नहीं है.

कांशीराम की विचारधारा किसी दल तक सीमित नहीं
काशीराम की जयंती के बहाने कांशीराम को याद कर भाजपा यह संकेत देना चाहती है कि उनकी विचारधारा किसी दल विशेष तक सीमित नहीं थी. सिर्फ भाजपा ही नहीं सपा और कांग्रेस भी इस दौड़ में आगे दिखाई पड़ रही है. बीजेपी लगातार दलित वोटरों के अपने साथ होने का दावा करती है. बीजेपी का दावा है कि अब तक केंद्र सरकार की जितनी भी योजनाएं रही हैं, उनसे सबसे ज्यादा फायदा इसी वर्ग के लोगों को पहुंचा है. इसलिए दलित वोटर उनके साथ मजबूती से खड़े हैं. 

कांग्रेस भी दलितों को जोड़ने में लगी
कांग्रेस को भी उम्मीद है कि प्रदेश में कमजोर होती बसपा के बाद किसी तरह दलितों को एक बार फिर से पार्टी के साथ जोड़ा जाए, ताकि अपने पुराने जनाधार के बीच पार्टी को मजबूत किया जा सके. एक तरफ जहां कांग्रेस ने दलितों को साधने के लिए पूरा जोर लगाया हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने भी कमर कस ली है. बसपा से गठबंधन टूटने के बाद भी सपा लगातार दलितों को जोड़ने के प्रयास में जुटी रही. सपा अध्यक्ष तो लगातार पीडीए फॉर्मूले का जिक्र करते हैं, जिसमें पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों को शामिल किया गया है.

कांशीराम की जयंती पर नमन किया
भाजपा, सपा और कांग्रेस ने भले ही अपनी इसी दलीय विचारधारा को आधार बना बसपा के संस्थापक कांशीराम की जयंती पर उन्हें नमन किया लेकिन इसके पीछे के राजनीतिक निहितार्थ भी स्पष्ट दिख रहे हैं. दलित वर्ग का कांशीराम से आज भी गहरा जुड़ाव है. भाजपा सपा कांग्रेस की कोशिश इस जुड़ाव को ही भुनाने की है. 

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