Majhawan Suchismita Maurya: यूपी उपचुनाव की 9 सीटों में एक गाजियाबाद के नतीजे आज आ गए हैं. बीजेपी के संजीव शर्मा ने सपा प्रत्याशी रामजाटव को हरा दिया है.
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Majhawan winning candidate: यूपी उपचुनाव की मझवां के नतीजे आज आ गए हैं. सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू हुई. मझवां विधानसभा क्षेत्र में हुए उप चुनाव में बीजेपी की सुचिस्मिता मौर्य ने सपा की ज्योति बिंद और बसपा के दीपू तिवारी को बड़ी मात दी है.
कौन है सुचिस्मिता मौर्य?
2017 में बीजेपी की लहर में मिर्जापुर जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाया था. इसी चुनाव में बीजेपी के सिंबल पर पहली बार सुचिस्मिता मौर्य चुनाव लड़ी थीं, और उनको जिताकर जनता ने विधानसभा पहुंचाया था. सुचिस्मिता मौर्य राजनीति परिवार से आती हैं. उनके ससुर रामचंद्र मौर्य बीजेपी ने पुराने नेता रहे हैं. सात ही मझवां से भाजपा के टिकट पर विधायक भी रह चुके हैं.
सुचिस्मिता मौर्य एमबीए पास हैं. सुचिस्मिता मौर्य साल 2017 में पहली बार चुनाव मैदान में उतरी थीं. पहली बार में ही उन्होंने कड़ी टक्कर देते हुए बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी और तीन बार की विधायक रहे रमेश बिंद (जो अब सपा में हैं।) को चुनाव हराया था. उनके ऊपर एक भी मुकदमा दर्ज नहीं हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुचिस्मिता मौर्य और उनके पति की संपत्ति करीब 50 करोड़ है.
कालीन के कारोबार से जुड़ी
सुचिस्मिता मौर्य कालीन के कारोबार से जुड़ी हुई है और करोड़ों रुपए की मालकिन हैं. इनका राजनीतिक सफर बहुत लंबा नहीं है लेकिन इनके ससुर पूर्व विधायक स्वर्गीय रामचंद्र मौर्य मझवा विधानसभा से विधायक रह चुके हैं.
कौन है ज्योति बिंद?
मझवां से पूर्व विधायक और भदोही से पूर्व सांसद रमेश बिंद की बेटी डॉ. ज्योति बिंद को सपा ने उपचुनाव में मझवां से प्रत्याशी घोषित किया. रमेश बिंद लगातार मझवां विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रहे. फिर इसके बाद वह लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी के टिकट पर भदोही से सांसद चुने गए.
कौन हैं दीपू तिवारी
दीपू तिवारी ब्राहम्ण समुदाय से आते हैं. मझवां सीट से बसपा ने दीपू तिवारी को मैदान में उतारा है. बिन्नानी डिग्री कालेज के पूर्व अध्यक्ष दीपू तिवारी पूर्व में समाजवादी पार्टी के महासचिव रह चुके हैं.
8 बार कांग्रेस जबकि 5 बार जीत चुकी है बसपा
मझवां सीट से कांग्रेस, जनसंघ, जनता दल, बसपा और बीजेपी जीत दर्ज करती चली आ रहा है. 1952 से 1969 तक यह सीट सुरक्षित थी. साल 1974 में यह सामान्य सीट हो गई.इस दौरान कांग्रेस नेता रुद्र प्रसाद और इसके बाद लोकपति त्रिपाठी विधायक बने थे. इस सीट से 8 बार कांग्रेस जबकि 5 बार बीएसपी जीत चुकी है. साल 2017 में बीजेपी से सुचिष्मिता मौर्य जबकि साल 2022 में बीजेपी-निषाद पार्टी के डॉ. विनोद बिंद विधायक बने थे. सपा इस सीट से अभी तक खाता नहीं खोल पाई है.
पिछड़े वर्ग का दबदबा
मझवां सीट पर पिछड़ा वर्ग ही जीत तय करता है. यहां पर इनका दबदबा है. जातीय समीकरण की बात करें तो इस सीट पर दलित, ब्राह्मण, बिंद वोटरों की संख्या करीब 60-60 हजार है. कुशवाहा वोटर 30 हजार, पाल 22 हजार, राजपूत 20 हजार, मुस्लिम 22 हजार, पटेल 16 हजार हैं. 1960 में अस्तित्व में आई इस सीट पर ब्राह्मण, दलित और बिंद बिरादरी का बर्चस्व है.
मझवां में 14 टेबलों पर मतगणना
राजकीय पालीटेक्निक कालेज परिसर में मतगणना सुबह आठ बजे से आरंभ हुई थी. परिसर में 14 टेबलों पर मतगणना की गई.