उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की कमान अभी भूपेंद्र चौधरी के हाथों में है. उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा है. ऐसे में नए अध्यक्ष को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं.
मंथन से लेकर दावेदारी तक की दौड़भाग शुरू हो चुकी है. सूत्रों के अनुसार इस बार किसी ब्राह्मण, दलित या ओबीसी चेहरे पर दांव लगाया जा सकता है.
संगठन के चुनाव के बाद नए साल में पार्टी को यूपी का नया मुखिया मिलने की उम्मीद है. ऐसे में इस नए मुखिया के चेहरे में जातिगत समीकरण सबसे ज्यादा मायने रखेगा.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद की रेस में मुख्य रूप से पांच से छह नाम सबसे अधिक होड़ में बने हुए हैं. इसके अलावा चर्चा इस बात की भी है कि मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी की दोबारा से ताजपोशी भी हो सकती है.
बीजेपी अध्यक्ष के लिए दलित चेहरे के तौर पर विद्यासागर सोनकर का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है. जौनपुर के सुखीपुर निवासी विद्यासागर पढ़ाई के दौरान ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और फिर भाजपा के बूथ अध्यक्ष बने. वह अनुसूचित मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. विद्यासागर सोनकर मौजूदा समय में विधान परिषद के सदस्य हैं. दलित वर्ग को साधने के लिए भाजपा विद्या सागर सोनकर के नाम पर मुहर लगा सकती है.
बीएल वर्मा भी लोध जाति से आते है और इसीलिए उनके नाम की भी चर्चा है. बीएल वर्मा बदायूं के रहने वाले हैं और RSS से 1979 से जुड़े रहे है. मोदी सरकरा 3.0 में उनको मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है.
बरेली की आंवला सीट से 5 बार के विधायक और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह का नाम भी रेस में शामिल है. लोध राजपूत समुदाय से आने वाले धर्मपाल भाजपा के पुराने सिपाही हैं. वह कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह सरकार में भी मंत्री रहे. अभी वह यूपी के पशुधन एवं दुग्ध विकास कैबिनेट मंत्री का प्रभार संभाल रहे हैं.
इसके अलावा पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी का नाम भी चर्चा में चल रहा है जो ब्राह्मण चेहरे के तौर पर प्रदेश संगठन की कमान संभाल सकते हैं. हरीश द्विवेदी ABVP से लेकर 1994 से 1996 तक प्रदेश सहमंत्री भी रहे हैं. 1995 से 98 तक एबीवीपी गोरखपुर के विभाग संगठन मंत्री भी बनें.
ब्राह्मण वर्ग से आने वाले विजय बहादुर पाठक बीजेपी से काफी लंबे समय से जुड़े हुए हैं. वर्तमान में वह पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं. वह विधान परिषद सदस्य भी हैं. ऐसे में ब्राह्मण समाज को पार्टी से जोड़े रखने के लिए भाजपा नेतृत्व उन्हें अध्यक्ष पद की अहम जिम्मेदारी सौंप सकती है.
यूपी में ओबीसी वोटर अहम भूमिका में हैं. बीजेपी की इस वर्ग पर भी निगाहें हैं. ऐसे में बीजेपी राज्यसभा सांसद बाबूराम निषाद के जरिए इस वर्ग को अपने पाले में लाने के लिए उन्हें मौका दे सकती है.