UP Politics: बसपा सुप्रीमो मायावती ने करीब डेढ़ माह बाद अपना फैसला पलटते हुए भतीजे आकाश आनन्‍द को फिर से पार्टी का राष्‍ट्रीय समन्वयक बनाकर उन्हें फिर से अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है. लोकसभा चुनाव के बीच में ही सात मई को उन्होंने आकाश आनन्‍द को अ‍परिपक्‍व करार देते हुए इन दायित्वों से मुक्त कर दिया था. लेकिन आखिर क्या वजह थीं कि बीते 1.5 महीने पहले लिए फैसले को मायावती को पलटना पड़ा.अब इसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.


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चंद्रशेखर का बढ़ता प्रभाव
मायावती के आकाश को फिर कमान सौंपने की वजह चंद्रशेखर आजाद भी हो सकते हैं. जिन्होंने नगीना लोकसभा क्षेत्र से जीत हासिल की है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि सियासत में उबरते चंद्रशेखर आने वाले समय में बसपा की मुसीबत बढ़ा सकते हैं, ऐसे में आकाश आनंद को उनकी काट के तौर पर पेश किया गया है.


खोया जनाधार हासिल करना 
आकाश आनंद को कमान सौंपकर बसपा की कोशिश खोया जनाधार हासिल करने की है. साल दर साल पार्टी का वोट भी छिटका है. बीजेपी और समाजवादी पार्टी ने इस दरकते वोटबैंक में बड़ी सेंधमारी की है. लोकसभा से लेकर विधानसभा में पार्टी की स्थिति कमजोर हुई है. 2014 के बाद 2024 में एकबार फिर पार्टी लोकसभा में शून्य हो गई जबकि विधानसभा में भी पार्टी का केवल एक ही विधायक है. 


युवाओं को साधन
आकाश आनंद के जरिए पार्टी युवाओं को साधने की कोशिश कर रही है. मायावती इस बात को भलिभांति समझती हैं कि दरकते काडर वोट को बचाने के लिए पार्टी की कमान युवा हाथ में देना आज जरूरी और मजबूरी दोनों है. आकाश आनंद इसमें काफी हद तक कामयाब होते भी दिखे हैं. उन्होंने रैली जनसभा में अपने भाषणों से युवाओं में जोश भरने का काम किया है. 


मिशन 2027 की तैयारी
मायावती लोकभा चुनाव में मिली हार के बाद अब पूरा फोकस 2027 के विधानसभा चुनाव की जमीन तैयार करने में जुट गई हैं. इसके लिए वह आकाश आनंद को तैयार करना चाहती हैं. शायद यही वजह है कि उनको दोबारा जिम्मेदारियां दी गई हैं. 


सोची समझी चाल?
मायावती सियासत की मंझी हुई खिलाड़ी हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान आकाश आनंद पर हुई कार्रवाई को बसपा चीफ की सोची समझी चाल के दौर पर भी देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि आकाश आनंद पर बैकफुट पर लाने की वजह यह है कि चुनाव में हार का ठीकरा उनके सिर न फूटे, इसका असर विधानसभा चुनाव में भी पड़ सकता है. 


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