आधुनिक समय को डिजिटल युग के नाम भी जाना जाता है, बस एक क्लिक में घर में बैठे सारे काम होने लगे हैं. घर का राशन मंगाना हो या फिर पासपोर्ट अप्लाई करना हो, ज्यादार सबकुछ घर ऑनलाइन हो चुका है.
आधार कार्ड और यूपीआई इस डिजिटल युग की ही देन हैं जो इस दौर में खूब काम आ रहे हैं. आधार कार्ड से फला व्यक्ति के मूल निवास से लेकर उसके बॉयोमेट्रिक की जानकारी चुटकियों में स्क्रीन के सामने होती है तो वहीं यूपीआई से सेकंडों में पैसे सैकड़ों किलोमीटर दूर भेजे जा सकते हैं.
भारत सरकार आधार जैसी आईडी और यूपीआई जैसे डिजिटल पेमेंट सुविधा के बाद अब घरों के लिए डिजिटल एड्रेस सिस्टम लाने की तैयारी में है. यानी अब आपके आधार की तरह आपके घर के एड्रेस का यूनीक आईडी होगा.
दरअसल सरकार का प्लान है कि लोगों के घरों के पते को डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर मैट्रिक्स में शामिल किया जाए, ताकि लोगों के घरों के पते का सटीक तरीके से पता लगाया जा सके. सरकार की इस पहल से आपके घर या अन्य स्थानों के पते का एक यूनीक नंबर होगा, जिससे देश में किसी भी जगह (घर/फैक्ट्री/ऑफिस/ मॉल आदि) का एड्रेस आसानी से पता लगाया जा सकेगा.
हर जगह यानी घर, ऑफिस, फैक्ट्री आदि के एड्रेस का एक यूनिक नंबर होगा तो इससे कूरियर, फूड डिलिवरी, लोन और सरकारी सेवाओं में सटीकता आएगी. इससे किसी भी प्रकार का कन्फ्यूजन नहीं होगा और गलतियों की गुंजाइश कम हो जाएगी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार ने इसकी तैयारी का जिम्मा डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट्स को सौंपा है और इस प्रोजेक्ट की निगरानी सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से हो रही है. जल्द इसकी जानकारी सार्वजनिक की जाएगी और फिर लोगों से सुझाव मांगे जाएंगे.
कहा जा रहा है कि इस साल के आखिर तक इस प्रोजेक्ट पर काम हो जाएगा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शीतकालीन सत्र में इस मसौदे को पेश भी किया जा सकता है, ताकि डिजिटल एड्रेस सिस्टम संभालने के लिए एक नई अथॉरिटी का गठन किया जा सके.
पिछले कई बरसों से देखा जा रहा है कि कंपनियों लोगों के एड्रेस से जुड़ा डेटा कहीं भी शेयर कर देती हैं. मिलते जुलते एड्रेस की वजह से भ्रम की स्थिति रहती है लेकिन डिजिटल एड्रेस के साथ ऐसा नहीं होगा क्योंकि डिजिटल एड्रेस एक यूनीक नंबर होगा जो किसी दूसरे से मेल नहीं खाएगा.
अक्सर बहुत से लोग अधूरा पता लिखकर छोड़ देते हैं, कोई लैंडमार्क नहीं होने की वजह से पार्सल या अन्य किसी सेवा को पहुंचाने वालों को काफी दिक्कत होती है. लेकिन डिजिटल एड्रेस का एक खाका तैयार किया जाएगा. पता लिखने और शेयर करने का एक स्टैंडर्ड फॉर्मेट होगा. जिसमें गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं होगी
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है.एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.