उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक, आगामी 8 जनवरी को देश के 15 लाख बिजली कर्मचारियों के साथ एक दिन का कार्य बहिष्कार करेगें.
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लखनऊ: बिजली निगमों के एकीकरण और पुरानी पेंशन बहाली के लिए उत्तर प्रदेश के सभी ऊर्जा निगम और बिजली विभाग के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक, आगामी 8 जनवरी को देश के 15 लाख बिजली कर्मचारियों के साथ एक दिन का कार्य बहिष्कार करेगें. 'उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति' की कोर कमेटी की लखनऊ में हुई बैठक के बाद आगामी 8 जनवरी को कार्य बहिष्कार की रणनीति तय की गई.
विद्युत संगठन की मांग है कि बिजली निगमों का एकीकरण कर केरल और हिमाचल प्रदेश की भांति उ.प्र. रा.वि.प. लिमिटेड का पुनर्गठन किया जाए. विद्युत वितरण का निजीकरण करने के लिहाज से 'इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003' में किए गए सभी संशोधन वापस लिए जाएं. इसके साथ ही संगठन की मांग है विद्युत परिषद के विघटन के बाद बिजली निगमों में भर्ती हुए सभी कर्मचारियों और अभियंताओं के लिए पुरानी पेंशन बहाल की जाए, श्रम कानूनों में किए जा रहे सभी संशोधन वापस लिए जाएं, आगरा का विद्युत वितरण फ्रेन्चाइजी करार और ग्रेटर नोएडा का निजीकरण रद्द किया जाए.
संगठन की मांग है कि विद्युत कर्मचारियों को 'रिफॉर्म एक्ट 1999' और 'ट्रांसफर स्कीम 2000' के तहत रियायती दरों पर मिल रही बिजली की सुविधा (एलएमवी 10) पूर्ववत बनाए रखी जाए और मीटर लगाने के आदेश वापस लिए जाएं, सरकारी क्षेत्र के बिजली उत्पादन गृहों का नवीनीकरण/उच्चीकरण किया जाए. निजी घरानों से मंहगी बिजली खरीद हेतु सरकारी बिजली घरों को बन्द करने की नीति समाप्त की जाए.
उनका कहना है कि यदि यह बिल पारित हो गया तो बिजली आपूर्ति करने वाली निजी कम्पनियां मुनाफे वाले बड़े उपभोक्ताओं को बिजली बेच कर भारी पैसा बनाएंगी. जबकि सरकारी क्षेत्र की बिजली आपूर्ति कंपनी ग्रामीण क्षेत्रों, किसानों, गरीबों और आम उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति कर केवल घाटे में रहेगी. इस प्रकार सरकारी बिजली आपूर्ति कम्पनियों का दीवाला निकल जायेगा और क्रॉस सब्सिडी खत्म हो जाने से अंत में आम उपभोक्ताओं का टैरिफ बढ़ेगा. (संपादन: आशीष त्रिपाठी)