बकरे का बेटे जैसा किया पालन-पोषण, मरने पर हिंदू रीति-रिवाज से किया अंतिम संस्कार, जानिए मामला
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बकरे का बेटे जैसा किया पालन-पोषण, मरने पर हिंदू रीति-रिवाज से किया अंतिम संस्कार, जानिए मामला

कौशांबी ज़िले में एक शख़्स ने हिंदू रीति रिवाज़ के हिसाब से बकरे का अंतिम संस्कार कर जनवरों से मोहब्बत की मिसाल पेश की है. खराब मौसम के बाद भी शव यात्रा में पूरा गांव शामिल हुआ.

बकरे का बेटे जैसा किया पालन-पोषण, मरने पर हिंदू रीति-रिवाज से किया अंतिम संस्कार, जानिए मामला

अली मुक्ता/कौशांबी: कौशांबी ज़िले में एक शख़्स ने हिंदू रीति रिवाज़ के हिसाब से बकरे का अंतिम संस्कार कर जनवरों से मोहब्बत की मिसाल पेश की है. खराब मौसम के बाद भी शव यात्रा में पूरा गांव शामिल हुआ. 

बकरे का बेटे जैसे किया पालन-पोषण
दरअसल, पूरा मामला सिराथू तहसील इलाके के निहालपुर गांव के रहने वाले राम प्रकाश ने एक बकरी पाल रखी थी. बकरी एक मेमने को जन्म देकर मर गयी थी. राम प्रकाश ने मेमने का अपने बेटे जैसे पालन-पोषण किया. उसने बकरे का बक़ायदा नाम कल्लू रखा. वह कल्लू को समय से दूध पिलाता, स्वदिष्ट खाना खिलाता. इतना ही नहीं रात को अपने पास ही बेड पर सुलाता था. बीमार पड़ने पर तुरन्त डॉक्टर को दिखता था. अचानक बीती रात कल्लू की तबियत ख़राब हो गई. जब तक राम प्रकाश कुछ समझ पाता बकरे की मौत हो गयी.  

अंतिम संस्कार बना चर्चा का विषय 
राम प्रकाश पेश से पीआरडी जवान हैं. उन्होंने शादी नहीं की है और अकेले ही रहते हैं. या यूं कहें कि बकरा ही उनका परिवार हैं. इसलिये वह उसको बेटे की तरह मानते थे. अचानक बकरे की मौत से राम प्रकाश सदमे में हैं. अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज और धूमधाम से होने के कारण पूरे जनपद में चर्चा का विषय बना हुआ हैं और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. 

बकरे के अंतिम संस्कार की तैयारी हो रही थी, तभी अचानक मौसम में परिवर्तन हुआ और हल्की बारिश के साथ ही ठंड बढ़ गयी. इसके बाद भी ग्रामीण उसकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए. राम प्रकाश यादव ने बकरे की आत्मा की शान्ति के लिए 16 दिसम्बर को तेरहवीं कार्यक्रम आयोजित करने का भी फैसला किया हैं. 

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