शिक्षिका को अनाधिकृत तौर पर निलंबित करना BSA को पड़ा भारी, हाईकोर्ट ने लगाया हर्जाना
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शिक्षिका को अनाधिकृत तौर पर निलंबित करना BSA को पड़ा भारी, हाईकोर्ट ने लगाया हर्जाना

आए दिन आपने बीएसए की हनक और शिक्षकों के निलंबन की खबर सुनी होगी. ऐसी खबरें अब आम हो चुकी हैं, लेकिन इस तरह के निलंबन को लेकर इलाहाबाद हाइकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है.

शिक्षिका को अनाधिकृत तौर पर निलंबित करना BSA को पड़ा भारी, हाईकोर्ट ने लगाया हर्जाना

मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: आए दिन आपने बीएसए की हनक और शिक्षकों के निलंबन की खबर सुनी होगी. ऐसी खबरें अब आम हो चुकी हैं, लेकिन इस तरह के निलंबन को लेकर इलाहाबाद हाइकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. शिक्षिका को अनाधिकृत रूप से निलंबित करने और भत्ता न देने के मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को छूट दी है कि शासन को हुए नुकसान के लिए तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई करे. साथ ही हर्जाना भी लगाया है. ये पूरा मामला फतेहपुर जिले का है.

तत्कालीन BSA पर लगा 50 हजार हर्जाना
दरअसल, हाईकोर्ट ने फतेहपुर के तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी आरके पंडित के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. साथ ही 50 हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया है. कोर्ट ने 6 सप्ताह के भीतर निलंबन अवधि के वेतन व भत्ते का भुगतान सात प्रतिशत ब्याज की दर से करने का निर्देश दिया है. वहीं, आदेश का अनुपालन न होने पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करना की फरमान सुनाया है. जस्टिस सिद्धार्थ की एकलपीठ ने सहायक अध्यापिका रचना सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है.

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स्वीकृत अवकाश पर रहने के बाद हुआ एक्शन 
आपको बता दें कि याची की नियुक्ति प्राथमिक विद्यालय नराचा फतेहपुर के प्राथमिक विद्यालय में 2006 में हुई थी. याची का कहना था कि उसने 6 अक्तूबर 2007 से 5 मार्च 2008 तक बिना वेतन अवकाश की मांग की थी. उसका यह अवकाश स्वीकृत कर दिया गया. अवकाश पर रहने के दौरान ही 5 मार्च 2008 को बेसिक शिक्षा अधिकारी फतेहपुर ने याची को अनाधिकृत रूप से सेवा से अनुपस्थित रहने के आरोप में निलंबित कर दिया. उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई.

शिक्षिका को अनुपस्थित रहने के आरोप में किया गया बर्खास्त 
जिसके बाद 20 जनवरी 2010 को याची को तीन वर्ष तक सेवा से अनधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया. शिक्षिका ने इस आदेश को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के समक्ष चुनौती दी. तब परिषद के सचिव ने निलंबन आदेश रद्द करते हुए याची को दोबारा सेवा में बहाल करने का आदेश दिया था. 

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सचिव ने किया था इनकार 
जिसके बाद सचिव ने याची को 10 मार्च 2008 से 29 अक्तूबर 2010 तक का वेतन नो वर्क नो पे के सिद्धांत पर देने से इनकार कर दिया. वहीं, न्यायालय ने सरकार को छूट दी है कि शासन को हुए नुकसान के लिए तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी के खिलाफ विभागीय अनुशासनिक कार्रवाई करें.

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