'बालिग को जीवन साथी चुनने का संवैधानिक अधिकार, शादी के लिए सरकार-परिवार या समाज की अनुमति जरूरी नहीं'- इलाहाबाद HC
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'बालिग को जीवन साथी चुनने का संवैधानिक अधिकार, शादी के लिए सरकार-परिवार या समाज की अनुमति जरूरी नहीं'- इलाहाबाद HC

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad high court) ने समान नागरिक संहिता पर केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर विचार करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा बालिग को अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का संवैधानिक अधिकार है. शादी के लिए सरकार, परिवार या समाज की अनुमति की जरूरी नहीं है.

फाइल फोटो.

मो.गुफरान/प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad high court) ने समान नागरिक संहिता पर केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर विचार करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा बालिग को अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का संवैधानिक अधिकार है. शादी के लिए सरकार, परिवार या समाज की अनुमति की जरूरी नहीं है. कोर्ट ने कहा अवैध धर्म परिवर्तन कानून 2021 (Illegal Conversion Law 2021) विपरीत धर्म मानने वाले जोड़े को शादी करने पर रोक नहीं लगाता है. निबंधक को यह अधिकार नहीं है कि वह जिला प्राधिकारी से धर्म परिवर्तन की अनुमति नहीं लेने के आधार पर शादी का पंजीकरण रोके रखें. कोर्ट ने कहा जिला प्राधिकारी का धर्म परिवर्तन का अनुमोदन बाध्यकारी नहीं, निर्देशात्मक है. 

तत्काल रजिस्ट्रेशन करने के दिए निर्देश 
कोर्ट ने पुलिस को विपरीत धर्मों के शादीशुदा बालिग जोड़े को जरूरत के मुताबिक सुरक्षा व संरक्षण देने का निर्देश दिया. इसके साथ ही विवाह पंजीकरण अधिकारी को जिला प्राधिकारी के अनुमोदन का इंतजार न कर तत्काल पंजीकरण करने को कहा. कोर्ट ने आगे कहा कि किसी ने धोखाधड़ी या गुमराह किया तो इस स्थिति में पक्षकारों को सिविल व आपराधिक कार्यवाही करने का अधिकार है. 

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राज्य सरकार को सर्कुलर जारी करने का दिया आदेश
कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश का पालन करने के लिए सर्कुलर जारी करने का आदेश जारी किया है. महानिबंधक को आदेश की प्रति केंद्र सरकार के विधि मंत्रालय व प्रदेश के मुख्य सचिव को अनुपालन के लिए प्रेषित करने का निर्देश दिया. यह आदेश जस्टिस सुनीत कुमार की एकल पीठ ने मायरा उर्फ वैष्णवी, विलास शिर्शिकर, ज़ीनत अमान उर्फ नेहा सोटी सहित अंतर धार्मिक विवाह करने वाले 17 जोड़ों की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. 

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 17 याचियों ने शादी का रजिस्ट्रेशन रोके रखने या इंकार करने को लेकर कोर्ट में चुनौती दी थी. वैष्णवी नाम की हिंदू युवती ने इस्लाम स्वीकार किया. इसके बाद महाराष्ट्र में मुस्लिम युवक से शादी की और बिजनौर में पंजीकरण की अर्जी दी. ज़ीनत अमान मुस्लिम है. उसने हिंदू धर्म अपनाया. बिजनौर के आर्य समाज मंदिर में हिंदू से शादी की. डीएम की अनुमति न लेने के कारण रजिस्ट्रेशन से इंकार कर दिया गया. मनाल खान ने धर्म बदला और आर्य समाज मंदिर कानपुर में हिंदू से शादी की. शमा परवीन मुस्लिम ने धर्म बदला और हिंदू से शादी की. गाजीपुर में पंजीकरण की अर्जी दी. गुलाफसा ने धर्म बदला और राधाकृष्ण मंदिर अमरोहा में हिंदू से शादी की. पंजीकरण के लिए अर्जी दी. 

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एकता माधवानी हिंदू ने धर्म बदला और मुस्लिम से शादी की. ममता मौर्या ने धर्म बदला बरेली में मुस्लिम से शादी की. फिजा मुस्लिम ने धर्म बदला और शिव मंदिर बदायूं में हिंदू से शादी की. 34 साल की सलमा कौर ने धर्म बदला और आर्य समाज मंदिर सहारनपुर में 25 वर्षीय हिंदू लड़के से शादी की. 42 वर्ष की स्नेहलता हिंदू ने धर्म बदला और 40 साल के मुस्लिम से सूरत में शादी की. नसीमा ने धर्म बदला और शिव मंदिर प्रयागराज में हिंदू से शादी की. रेनू ने धर्म बदला और मुस्लिम से शादी की. सलमा ने धर्म बदला और पति से तलाक लेकर हिंदू विधुर से आर्य समाज मंदिर मुजफ्फरनगर में शादी की. प्रतिभा ने धर्म बदला और मुस्लिम से शाहजहांपुर में शादी की. इसके अलावा निशा ने धर्म बदला और मुरादाबाद में मुस्लिम से शादी की. हिशा बानो ने धर्म बदला और शिव मंदिर जहानपुर विलर मऊ में हिंदू से शादी की. बेबी ने धर्म बदला और मुस्लिम लड़के से शादी की. इन सभी 17 जोड़ों की याचिका को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने फैसला सुनाया है. 

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