राम मंदिर में रखी जाएगी श्रीलंका के सीता अशोक वाटिका की शिला, श्रीलंका का प्रतिनिधि मंडल कल करेगा दर्शन
अयोध्या राम जन्म भूमि रामलला के मंदिर में श्रीलंका सीता एलिया अशोक वाटिका की शिला रखी जाएगी. 28 अक्टूबर को श्रीलंका के राजदूत, श्रीलंका के राजदूत व उनका प्रतिनिधि मंडल गुरुवार को अयोध्या पहुंचेगा.
अयोध्या: अयोध्या राम जन्म भूमि रामलला के मंदिर में श्रीलंका सीता एलिया अशोक वाटिका की शिला रखी जाएगी. 28 अक्टूबर यानी कल श्रीलंका के भारत में राजदूत उनकी पत्नी, उप राजदूत, श्रीलंका सरकार के दो मंत्री और एक अधिकारी गुरुवार को अयोध्या पहुंचेंगे. श्रीलंका के राजदूत व उनका प्रतिनिधि मंडल गुरुवार को 11 बजे राम जन्मभूमि परिसर में रामलला का दर्शन करेंगे.
बता दें, श्रीलंका सरकार के राजदूत और प्रतिनिधिमंडल पहली बार अयोध्या में रामलला के दरबार में आ रहे हैं. राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से रामलला के दरबार में भव्य स्वागत की व्यवस्था की गई है. इस दौरान राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय, ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्र, ट्रस्टी विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र उनका स्वागत करेंगे, साथ ही राम जन्मभूमि राम लला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास श्रीलंका के प्रतिनिधिमंडल को रामलला का प्रसाद , पुष्प और अंग वस्त्र भेंट करेंगे.
श्रीलंका के राजदूत व प्रतिनिधि मंडल राम जन्मभूमि परिसर में रामलला के मंदिर निर्माण के कार्य को भी देखेंगे. ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय राम मंदिर निर्माण में लगी लार्सन एंड टुब्रो और टाटा कंसल्टेंसी की इंजीनियर श्रीलंका के प्रतिनिधिमंडल को राम मंदिर निर्माण के बारे में बताएंगे. दोपहर 1 बजे राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी अयोध्या राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र के राज सदन में श्रीलंका के राजदूत व उनके प्रतिनिधिमंडल का सम्मान किया जाएगा और यहीं पर मीडिया से मुखातिब भी होंगे.
आपको श्रीलंका के सीता एलिया अशोक वाटिका के बारे में बताते हैं. भगवान श्री राम मां सीता और भैया लक्ष्मण के साथ जब वन को गए तो पंचवटी से मां सीता का रावण ने हरण कर लिया था. और उसे श्रीलंका के अशोक वाटिका जो आज सीता एलिया के नाम से जानी जाती है, वहां पर कैद करके रखा था. आज श्रीलंका में अशोक वाटिका स्थित सीता एलिया लाखों अशोक वृक्षों से सजी हुई सुंदर वाटिका है. यहां पर एक राम जानकी मंदिर भी है. इस मंदिर को लोग सीता अम्मन कोविल के नाम से जानते हैं. ऐसा कहा जाता है कि यहीं पर आज भी हनुमान जी के पैर का निशान मौजूद हैं
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