अयोध्या: शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी, 195 नौनिहालों का भविष्य सिर्फ एक शिक्षक पर
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अयोध्या: शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी, 195 नौनिहालों का भविष्य सिर्फ एक शिक्षक पर

अयोध्या शहर में 42 स्कूलों के सापेक्ष 26 टीचर ही तैनात हैं. शहर के 16 स्कूल ऐसे हैं, जहां पर कोई अध्यापक तैनात ही नहीं है. एक स्कूल के टीचर को दो या दो से ज्यादा स्कूलों का चार्ज दिया गया है.

अयोध्या: शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी, 195 नौनिहालों का भविष्य सिर्फ एक शिक्षक पर

अयोध्या: अयोध्या के शहरी क्षेत्रों के परिषदीय विद्यालय में अध्यापकों की बेहद कमी है. अयोध्या शहर में 42 स्कूलों के सापेक्ष 26 टीचर ही तैनात हैं. शहर के 16 स्कूल ऐसे हैं, जहां पर कोई अध्यापक तैनात ही नहीं है. एक स्कूल के टीचर को दो या दो से ज्यादा स्कूलों का चार्ज दिया गया है. ऐसे में क्लास 1 से 8 तक के बच्चों की शिक्षा का क्या हाल होगा. 

ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्र में शिक्षकों की ज्यादा कमी
अयोध्या जिले में 1790 परिषदीय स्कूल हैं. स्कूलों में 2 लाख 11 हजार बच्चे पढ़ते हैं. इन बच्चों के सापेक्ष 6 हजार 200 अध्यापकों की नियुक्ति है. इसके बावजूद जिले में अध्यापकों की कमी बहुत है. अयोध्या जिले में ग्रामीण क्षेत्र के अपेक्षा शहरी क्षेत्र में अध्यापकों की बेहद कमी है. अयोध्या के पुलिस लाइन में बने सरकारी स्कूल कंपोजिट विद्यालय पुलिस लाइन ऋषि टोला में 195 छात्र-छात्राएं पढ़ती हैं. लेकिन यहां पर एक ही सहायक अध्यापिका तैनात है. 

195 बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी एक टीचर पर 
जिनके ऊपर 195 बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी है. क्लास 6 से 8 तक के बच्चे एक ही क्लास में एक साथ बैठ कर पढ़ते हैं. वहीं, क्लास 1 से 5 तक के बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी भी इन्ही के ऊपर है. सरकार ने अध्यापकों की कमी के चलते दो स्कूलों को एक मे मर्ज कर दिया. पुलिस लाइन के इस कंपोजिट विद्यालय में ऋषिटोला क्षेत्र के विद्यालय को जोड़ दिया, जिसकी जिम्मेदारी एक महिला शिक्षा मित्र के पास है.

7 शिक्षकों की जिम्मेदारी इकलौती शिक्षिका पर 
सहायक अध्यापिका गीता का कहना है कि उनको 195 छात्रों के लिए 7 अध्यापकों की जरूरत है. वह पोस्ट कोविड होने के बावजूद भी स्कूल में अपनी बेहतर सेवा दे रही हैं, लेकिन जब उनको छुट्टी की जरूरत होती है तो वह छुट्टी नहीं ले पाती हैं, क्योंकि उनके अलावा कोई अध्यापक तैनात नहीं है. वह स्कूल को खुद खोलती है और बंद करती हैं, स्वीपर और चपरासी भी इनके पास नही हैं. टीचरों की कमी से शिक्षा का स्तर कैसे अच्छा हो सकता है. 

एक ही क्लास में पढ़ रहे कक्षा 4 से 8 तक के बच्चे
कंपोजिट स्कूल पुलिस लाइन में टीचर की नियुक्ति नहीं होने के कारण स्कूल की सीनियर छात्राएं अपनी जूनियर छात्र-छात्राओं को पढ़ा रही हैं. एक ही क्लास में क्लास 4 से लेकर 8 तक के बच्चे बैठे पढ़ रहे हैं. इन बच्चों का कहना है कि मैडम हमको बहुत अच्छा पढ़ाती हैं लेकिन वह किस किस क्लास के बच्चों को पढ़ायें, इस लिए दीदी हम लोगों को पढ़ाती हैं. 

अयोध्या के बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष कुमार देव पांडेय का कहना है कि प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रो में शिक्षकों की संख्या ज्यादा है. शहरी क्षेत्र में शिक्षकों की संख्या कम है. नगरीय क्षेत्र में शिक्षकों की संख्या कम है, समायोजित कर के काम चलाया जा रहा है. सरकार डीएलएड के स्टूडेंट का शिक्षक के रूप में सहयोग लेने पर विचार कर रही है. 

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