Badaun में धर्मेंद्र यादव बनाम आजम खान गुट, सदर सीट प्रत्याशी को लेकर दो धड़ों में बंटी Samajwadi Party
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Badaun में धर्मेंद्र यादव बनाम आजम खान गुट, सदर सीट प्रत्याशी को लेकर दो धड़ों में बंटी Samajwadi Party

शेरवानी ने कहा कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भी आबिद पार्टी में नही थे तब भी उनको बदायूं सदर सीट से सपा ने टिकट दिया था. शेरवानी ने प्रेस वार्ता में यह भी कहा कि अगर पार्टी उनके बेटे शाद शेरवानी को टिकट देती है तो भी अच्छा है. 

सलीम इकबाल शेरवानी (L), धर्मेंद्र यादव (R).

बदायूं: बदायूं सदर सीट (Badaun Sadar Seat) के प्रत्याशी चयन को लेकर सपा (Samajwadi Party) में चल रही अंदरूनी कलह सामने आ गयी है. बदायूं में पार्टी के दो गुट नजर आ रहे हैं. एक पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव (Dharmendra Yadav) समर्थित गुट है, तो दूसरा मोहम्मद आजम खान (Azam Khan) समर्थित. आबिद रज़ा (Abid Raza Khan) समाजवादी पार्टी से बदायूं सदर विधानसभा सीट का टिकट मांग रहे हैं, लेकिन पार्टी में उनकी एंट्री धर्मेंद्र यादव ने बैन कर रखी है. दूसरी ओर समाजवादी पार्टी से चार बार के सांसद रहे सलीम इकबाल शेरवानी (Saleem Iqbal Shervani) हैं. 

उन्होंने शनिवार शाम आबिद रज़ा के घर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से आबिद के लिए बदायूं सदर सीट से टिकट की वकालत करेंगे. आबिद रज़ा को टिकिट दिलाने के लिए यदि लड़ाई करनी पड़ी तो करेंगे. दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के सम्मेलन में बदायूं जिलाध्यक्ष अगम मौर्या ने साफ कर दिया कि केवल उन्हीं की उम्मीदवारी पर विचार किया जाएगा जो पार्टी में शामिल हैं.

आबिद रज़ा के लिए खड़े हुए सलीम शेरवानी
बीते शुक्रवार को भी पार्टी जिलाध्यक्ष मौर्या ने 'बूथ जिताओ वोट बढ़ाओ' कार्यक्रम से पहले प्रेस वार्ता में भी यही कहा था कि जो सपा में नहीं है उसके बारे में क्यों चर्चा की जाए. सिर्फ उन्हीं आवेदनों पर विचार किया जाएगा जो पार्टी में हैं. बाहरी व्यक्तियों पर विचार नहीं होगा. शनिवार को हुई पीसी में सलीम इकबाल शेरवानी ने आबिद रज़ा की वकालत करते हुए कहा कि एक साल पहले मैं भी सपा में नही था, लेकिन अब हूं. आबिद रज़ा दोबारा पार्टी में आ सकते हैं.

शाद मुस्तफा शेरवानी की एंट्री भी हो चुकी है
शेरवानी ने कहा कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भी आबिद पार्टी में नही थे तब भी उनको बदायूं सदर सीट से सपा ने टिकट दिया था. शेरवानी ने प्रेस वार्ता में यह भी कहा कि अगर पार्टी उनके बेटे शाद शेरवानी को टिकट देती है तो भी अच्छा है. आबिद रज़ा को टिकट मिलता है तो भी उनको खुशी होगी. इस दोहरे बयान से राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है कि प्रत्याशियों की रेस में सलीम इक़बाल शेरवानी के बेटे शाद मुस्तफा शेरवानी की भी एंट्री हो चुकी है.

धर्मेंद्र यादव और आबिद रज़ा के बीच अदावत
एक चर्चा यह भी है कि सलीम शेरवानी, आबिद रज़ा के राजनीतिक गुरु हैं. समाजवादी पार्टी के हाईकमान ने सधे हुए कदमों से बदायूं में चल रही गुटबाजी को कंट्रोल करने के लिए शाद शेरवानी को धर्मेंद्र यादव और आबिद रज़ा के बीच खड़ा कर दिया है. आपको बता दें कि धर्मेंद्र यादव का आबिद रज़ा से 2016 में विवाद हुआ था. तब आबिद रज़ा ने धर्मेंद्र यादव पर गौ और गंगा के कटान जैसे गंभीर आरोप लगाए थे. प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा था कि उनकी जान को धर्मेंद्र यादव से खतरा है.

सलीम शेरवानी 2019 में कांग्रेस में चले गए 
उस समय यूपी में अखिलेश यादव की सरकार थी. तब आबिद को समाजवादी पार्टी से निकाल दिया गया था, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में बदायूं सदर सीट से रज़ा को ही टिकट दिया गया. पहले सपा ने बदायूं सदर सीट से फखरे अहमद को अपना उम्मीदवार बनाया था, बाद में आजम खान ने दखल दिया तो आबिद रज़ा को प्रत्याशी बने, लेकिन वह चुनाव हार गए थे. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सलीम इक़बाल शेरवानी ने बदायूं लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था.

आबिद रज़ा ने भी जॉइन कर ली थी कांग्रेस  
आबिद रज़ा ने भी कांग्रेस जॉइन कर लोकसभा चुनाव में सलीम शेरवानी का साथ दिया था, उनके लिए प्रचार किया था, वोट मांगे थे. सलीम शेरवानी को 50000 वोट मिले और वह चुनाव बुरी तरह हारे, लेकिन समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव की लुटिया जरूर डुबो दी. धर्मेंद्र यादव लोकसभा चुनाव हार गए. बाद में शेरवानी फिर से सपा में लौट आए. धर्मेंद्र यादव तबसे आबिद रज़ा को सिरे से ख़ारिज कर चुके हैं. लेकिन सलीम शेरवानी का आबिद के घर जाकर उन्हें सपोर्ट करना, सपा की अंदरूनी रार सार्वजनिक कर दिया है.

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