महाशिवरात्रि से पहले काशी विश्वनाथ मंदिर का गर्भगृह हुआ स्वर्ण से सुसज्जित, आकर्षण का बना केंद्र
Advertisement

महाशिवरात्रि से पहले काशी विश्वनाथ मंदिर का गर्भगृह हुआ स्वर्ण से सुसज्जित, आकर्षण का बना केंद्र

Kashi Vishwanath: शिव की नगरी काशी महाशिवरात्रि के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी है. काशी विश्वनाथ का मंदिर को सजाने का काम अंतिम चरण में है. बता दें, काशी के लोगों और बाबा के भक्तों के सहयोग से मंदिर प्रशासन गर्भगृह को स्वर्णमंडित कराया गया है. 

महाशिवरात्रि से पहले काशी विश्वनाथ मंदिर का गर्भगृह हुआ स्वर्ण से सुसज्जित, आकर्षण का बना केंद्र

वाराणसी: द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक काशी विश्वनाथ का मंदिर अब नीचे से ऊपर तक सोने से चमक उठा है. धर्म की नगरी वाराणसी में महाशिवरात्रि से पहले काशी विश्वनाथ मंदिर की दीवारें स्वर्ण से जगमगा गई हैं. ऐसे में महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन तैयारी में जुट गया है. 

यूक्रेन में फंसे संभल के 6 छात्र पहुंचे सुरक्षित घर, युद्ध के बीच गुजरे दहशत के पलों की सुनाई दास्तां

गुजरात से बुलाई गई थीं टीमें
शिव की नगरी काशी महाशिवरात्रि के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी है. काशी विश्वनाथ का मंदिर को सजाने का काम अंतिम चरण में है. बता दें, काशी के लोगों और बाबा के भक्तों के सहयोग से मंदिर प्रशासन गर्भगृह को स्वर्णमंडित कराया गया है. इस काम के लिए विशेष  विशेषज्ञों की पूरी टीम गुजरात से गर्भगृह को स्वर्ण से सजाने के लिए बुलाई गई थी.   

बलिया की फेफना सीट से बीजेपी प्रत्याशी के बड़े भाई और उनके समर्थकों पर हमला, मंत्री उपेन्द्र तिवारी ने लगाए सपा पर आरोप

तीन चरण में बनी सोने की दीवारें
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि मंदिर के गर्भगृह के अंदर और बाहर की दीवारों को स्वर्ण से सजाने के लिए 10 सदस्यीय टीम दो चरणों में काम कर रही है. हालांकि मंदिर ये काम अपने अंतिम चरण है. बता दें, मंदिर को सोने से सजाने वाली  संस्था के मुकुंद लाल के अनुसार पहले चरण में प्लास्टिक के सांचे का काम पूरा किया गया था. दूसरे फेज में तांबे के सांचे का कार्य हुआ. इसके बाद तीसरे चरण में सोना लगने का कार्य पूरा किया गया. 

पहले भी बनी थी योजना
आपको बता दें,  काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह को 6 साल पहले ही स्वर्णमंडित कराने की योजना बनाई गई थी. इसके लिए लगभग 42 करोड़ से ज्यादा रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया था. इसके लिए मंजूरी भी मिल गई थी, लेकिन इसके बाद जब शासन ने स्वर्ण शिखर और दीवारों पर अधिक भार सहने की की रिपोर्ट मांगी, तो बीएचयू आईआईटी ने अपनी रिपोर्ट में मंदिर को भार सहने योग्य से मना कर दिया था. 

WATCH LIVE TV

Trending news