लखीमपुर हिंसा मामले में राहुल-प्रियंका ने राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन, जानिए इससे क्या फर्क पड़ेगा
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लखीमपुर हिंसा मामले में राहुल-प्रियंका ने राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन, जानिए इससे क्या फर्क पड़ेगा

राष्ट्रपति को ज्ञापन देने के लिए जरूरी नहीं कि उनसे मिलकर ही दिया जाए. ज्ञापन को किसी के द्वारा भी दिया जा सकता है. उदाहरण के तौर पर एक ज्ञापन जो राज्यपाल या कलेक्टर को दिया जाता है, उसे राष्ट्रपति तक भी पहुंचाया जा सकता है...

लखीमपुर हिंसा मामले में राहुल-प्रियंका ने राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन, जानिए इससे क्या फर्क पड़ेगा

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में हुई लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर आज राहुल गांधी कांग्रेस की 5 सदस्यीय डेलीगेशन के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने गया. कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने प्रेसिडेंट को ज्ञापन सौंप दिया है. मालूम हो, ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. इससे पहले भी कांग्रेस कई बार महामहिम से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंप चुकी है. सिर्फ, कांग्रेस ही नहीं, कई राजनीतिक पार्टियों ने यह काम किया है.

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क्या होता है ज्ञापन?
आज हम आपको बताते हैं कि यह ज्ञापन क्या होता है और प्रेसिडेंट को यह ज्ञापन क्यों सौंपा जाता है. दरअसल, ज्ञापन का अर्थ है किसी व्यक्ति को किसी जानकारी से अवगत कराना या सूचित करना. इसका सीधा मतलब यह हुआ कि अगर आप किसी को रिटेन फॉर्म में जानकारी देते हैं तो उसे ज्ञापन कहते हैं. ऐसे ही अगर कोई राजनीतिक पार्टी राष्ट्रपति के पास जाकर उन्हें ज्ञापन देती है, तो कहा जाता है कि वह किसी व्यक्ति, समुदाय या स्थिति की शिकायत कर रही है और राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की अपेक्षा है. ऐसा सिर्फ राष्ट्रपति को नहीं, बल्कि राज्यपाल, कलेक्टर आदि को भी ज्ञापन दिया जा सकता है.

क्या लिखा होता है ज्ञापन में?
ज्ञापन को एक तरह से एप्लीकेशन लेटर के फॉर्म में लिखा जाता है. इस पत्र में विस्तृत जानकारी होती है. मुद्दे की पूरी डिटेल देने के साथ-साथ इसमें रिसीवर (इस केस में राष्ट्रपति) से हस्तक्षेप का निवेदन किया जाता है. यानी सिर्फ बोलने के बजाय, लिखित रूप में अपनी बात संबंधित व्यक्ति तक पहुंचाई जाती है.

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राष्ट्रपति से मिलना जरूरी नहीं
बता दें, राष्ट्रपति को ज्ञापन देने के लिए जरूरी नहीं कि उनसे मिलकर ही दिया जाए. ज्ञापन को किसी के द्वारा भी दिया जा सकता है. उदाहरण के तौर पर एक ज्ञापन जो राज्यपाल या कलेक्टर को दिया जाता है, उसे राष्ट्रपति तक भी पहुंचाया जा सकता है. इसके लिए ज्ञापन में 'के द्वारा' लिखा जाता है. इसके बाद जरूरी नहीं कि इसपर कार्रवाई होगी ही. ज्ञापन सौंपने के बाद यह राष्ट्रपति और उनके कार्यालय पर निर्भर करता है कि कोई कार्रवाई करनी है या नहीं. इसके लिए राष्ट्रपति और उनके कार्यालय में एक्सपर्ट विचार-विमर्श कर फैसला लेते हैं.

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