Dussehra 2021: दशहरे पर क्यों खाई जाती है जलेबी, जानें क्या है इसका श्रीराम से कनेक्शन?
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Dussehra 2021: दशहरे पर क्यों खाई जाती है जलेबी, जानें क्या है इसका श्रीराम से कनेक्शन?

Dussehra 2021: दशहरा को विजयदशमी के पर्व के रूप में मनाते हैं. दशहरे के दिन लोग इस दिन जलेबी खाते हैं और उसे घर भी लेकर जाते हैं. पुराणों की मानें तो कई जगहों पर कहा गया है कि जलेबी भगवान श्रीराम की पसंदीदा थी. वो जब प्रसन्न होते थे तो जलेबी जरूर खाते थे. इसलिए रावण दहन के बाद लोग जलेबी खाकर खुशी मनाते हैं. 

Dussehra 2021: दशहरे पर क्यों खाई जाती है जलेबी, जानें क्या है इसका श्रीराम से कनेक्शन?

Dashahara 2021: विजयादशमी यानि दशहरे को बुराई पर अच्छाई की जीत. इस दिन कुछ परंपराएं भी निभाई जाती है, जिनमें से एक है रावण पुतला दहन के बाद जलेबी को खाना. लाल-नारंगी, चाशनी में डूबी गर्म-गर्म जलेबियां भारत के हर कोने में बड़े चाव से खाई जाती हैं. छोटे हो या बड़े जलेबी हर आयुवर्ग की पसंदीदा मिठाई है.  दशहरे के दिन लोग इस दिन जलेबी खाते हैं.

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भगवान राम को पसंद थी जलेबी
दशहरा को विजयदशमी के पर्व के रूप में मनाते हैं. दशहरे के दिन लोग इस दिन जलेबी खाते हैं और उसे घर भी लेकर जाते हैं. पुराणों की मानें तो कई जगहों पर कहा गया है कि जलेबी भगवान श्रीराम की पसंदीदा थी. वो जब प्रसन्न होते थे तो जलेबी जरूर खाते थे. इसलिए रावण दहन के बाद लोग जलेबी खाकर खुशी मनाते हैं. 

इसलिए जब श्रीराम ने रावण का वध किया तो लोगों ने श्रीराम की पसंदीदा मिठाई से मुंह मीठा करके अपने आराध्य के नाम का जयकारा लगाया. तबसे दशहरे पर जलेबी खाने का चलन बन गया. 

जलेबी को ‘कर्णशष्कुलिका’ कहा जाता था
पुराने जमाने में जलेबी को ‘कर्णशष्कुलिका’ कहा जाता था. कहा जाता है कि श्रीराम के जन्म के समय महल में बनी कर्णशष्कुलिका पूरे राज्य में बंटवाई गई. बता दें कि 17वीं सदी की ऐतिहासिक दस्तावेज में एक मराठा ब्राह्मण रघुनाथ ने जलेबी बनाने की विधि का उल्लेख कुण्डलिनि नाम से किया है. वहीं भोजनकुतूहल नामक किताब में भी अयोध्या रामजन्म के समय प्रजा में जलेबियां बांटने का जिक्र किया गया. कई जगह इसे शश्कुली के नाम से भी उल्लेखित किया गया है.

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अलग-अलग राज्य में अलग-अलग नाम
जलेबी की कई किस्म अलग-अलग राज्यों में मशहूर हैं. इंदौर के रात के बाजारों से बड़े जलेबा, बंगाल में 'चनार जिल्पी, मध्य प्रदेश की मावा जंबी या हैदराबाद का खोवा जलेबी, आंध्र प्रदेश की इमरती या झांगिरी, जिसका नाम मुगल सम्राट जहांगीर के नाम पर रखा गया है. उत्तर भारत में यह जलेबी नाम से जानी जाती है, जबकि दक्षिण भारत में यह ‘जिलेबी’ नाम से जानी जाती है. जबकि यही नाम बंगाल में बदलकर ‘जिल्पी’ हो जाता है. गुजरात में दशहरा और अन्य त्यौहारों पर जलेबी को फाफड़ा के साथ खाने का भी चलन है.

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