UP Chunav 2022: ​मैनपुरी की जिस सीट से Akhilesh Yadav लड़ेंगे चुनाव, बड़ा दिलचस्प है उसका इतिहास
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UP Chunav 2022: ​मैनपुरी की जिस सीट से Akhilesh Yadav लड़ेंगे चुनाव, बड़ा दिलचस्प है उसका इतिहास

अखिलेश यादव ने आजमगढ़ और संभल पर मैनपुरी को तरजीह देते हुए यहां की करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. करहल की बात करें तो यह समाजवादी पार्टी की सबसे सुरक्षित सीटों में से एक है. 

मैनपुरी की करहल सीट से विधायक सोबरन सिंह यादव (L), सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव.

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर सदर सीट से चुनाव मैदान में उतरने के बाद सपा प्रमुख पर दबाव बढ़ गया था कि वह भी जनता का विश्वास हासिल कर विधानसभा पहुंचे. अखिलेश को लेकर चर्चा थी कि वह अपने संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ की किसी सीट, संभल जिले की गुन्नौर सीट या फिर सपा के गढ़ मैनपुरी की किसी सीट से यूपी विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं. अब तस्वीर साफ हो गई है और सपा ने अखिलेश के लिए सुरक्षित सीट की तलाश पूरी कर ली है.

दो दशक से समाजवादी पार्टी करहल से चुनाव नहीं हारी है
अखिलेश यादव ने आजमगढ़ और संभल पर मैनपुरी को तरजीह देते हुए यहां की करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. करहल की बात करें तो यह समाजवादी पार्टी की सबसे सुरक्षित सीटों में से एक है. अभी करहल से समाजवादी पार्टी के सोबरन सिंह यादव विधायक हैं. बीते दो दशक से समाजवादी पार्टी करहल से कभी चुनाव नहीं हारी है. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से सपा के सोबरन सिंह यादव ने 38000 मतों के अंतर से चुनाव जीता था. साल 2012 में भी सोबरन सिंह यादव ने करहल सीट पर 30000 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी.

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सोबरन सिंह यादव करहल से लगातार 4 बार के विधायक हैं
साल 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी सोबरन सिंह यादव ने मैनपुरी की करहल सीट पर 17000 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. इस तरह सोबरन सिंह यादव करहल से सपा के लगातार तीन बार ​के विधायक हैं, जिन्हें इस बार अखिलेश यादव को अपनी सीट सौंपनी पड़ रही है. हालांकि, सोबरन सिंह करहल से लगातार 4 बार के विधायक हैं. समाजवादी पार्टी आखिरी बार साल 2002 के यूपी विधानसभा चुनाव में मैनपुरी की करहल सीट से चुनाव हारी थी. तब सोबरन सिंह यादव ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर करहल में कमल का फूल खिलाया था.

भाजपा इस बार अपने बड़े नेताओं को चुनाव लड़वा​ रही है
अखिलेश यादव 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन वह विधानसभा के सदस्य न होकर विधानपरिषद सदस्य थे. इसी तरह वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी विधानसभा का सदस्य न होकर विधानपरिषद सदस्य हैं. इस बार इन दोनों नेताओं ने तय किया है कि वे जनता का विश्वास हासिल करने के लिए विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. भाजपा इस बार अपने उन सभी नेताओं को चुनाव लड़ाने की तैयारी में है जो योगी मंत्रिमंडल में शामिल रहे, लेकिन विधानपरिषद सदस्य के रूप में. उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को भाजपा ने कौशांबी की सिराथू सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है.

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गोरखपुर सदर सीट से राधा मोहन का टिकट कट गया है
इसी तरह चर्चा है कि आगामी चरणों के लिए जब भाजपा अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करेगी तो उसमें सूबे के दूसरे उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, जलशक्ति मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह समेत अन्य कई कद्दावर नेताओं का नाम शामिल होगा. हालांकि, सपा और भाजपा की रणनीति से इतर बहुजन समाज पार्टी ने एलान किया है कि मायावती और सतीश चंद्र मिश्रा उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे. वहीं, भाजपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर सदर सीट से चुनाव लड़ाने के लिए अपने चार बार के विधायक राधा मोहनदास अग्रवाल का टिकट काट दिया है.

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