वो देश को अखंड भारत बनाने की बात करते हैं और देश के मुसलमान का पैदल चलना दुश्वार कर दिया है: मदनी
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वो देश को अखंड भारत बनाने की बात करते हैं और देश के मुसलमान का पैदल चलना दुश्वार कर दिया है: मदनी

आज से देवबंद में मुस्लिम निकायों के दो दिवसीय अधिवेशन का आयोजन किया गया है. अधिवेशन की शुरुआत जमीयत-उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद मौलाना महमूद मदनी ने अधिवेशन का झंडा फहराकर की.

वो देश को अखंड भारत बनाने की बात करते हैं और देश के मुसलमान का पैदल चलना दुश्वार कर दिया है: मदनी

नीना जैन/सहारनपुर: आज से देवबंद में मुस्लिम निकायों के दो दिवसीय अधिवेशन का आयोजन किया गया है. अधिवेशन की शुरुआत जमीयत-उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद मौलाना महमूद मदनी ने अधिवेशन का झंडा फहराकर की. इस दौरान मदनी ने कहा, "हमें मायूस होने की जरूरत नहीं है, देश हमारा है और हमारे बुजुर्गों ने इस देश को आजाद कराने में मुख्य भूमिका निभाई है. देश में नफरत का कारोबार करने वालों की दुकानें ज्यादा दिन चलने वाली नहीं है, उन्होंने कहा कि सरकारें आने-जाने वाली चीज है, लेकिन देश को जोड़ने वाले और मजबूत करने वाले ही इस देश की ताकत हैं. वो देश को अखंड भारत बनाने की बात करते हैं और देश के मुसलमान का पैदल चलना दुश्वार कर दिया है."

सरकार और आरएसएस पर साधा निशाना
देवबंद के ईदगाह में आयोजित सम्मेलन के पहले चरण में भाषण देते हुए मौलाना महमूद मदनी ने इशारों-इशारों में सरकार और आरएसएस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, "एक अखंड  भारत की बात करने वाले वर्ग विशेष को निशाना बना रहे हैं. उन्होंने कहा, "बड़ों का सहारा उठ गया. हालात मुश्किल हैं, लेकिन मायूसी की जरूरत नहीं है. हमारा जिगर जानता है की हमारी क्या मुश्किलें हैं. हां, मुश्किल झेलने के लिए ताकत–हौंसला चाहिए. हम जुल्म को बर्दाश्त कर लेंगे, दुखों को सह लेंगे, लेकिन अपने मुल्क पर आंच नहीं आने देंगे. यह फैसला कमजोरी नहीं, जमीयत की ताकत की वजह से है. हम हर चीज पर समझौता कर सकते हैं, लेकिन ईमान से समझौता बर्दाश्त नहीं."

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उनका एक्शन प्लान क्या समझ लीजिए: मदनी
मदनी ने सवाल खड़ा करते हुए कहा, "वो चाहते क्या हैं? उनका एक्शन प्लान क्या है? समझ लीजिए, मैं बार बार कह रहा हूं...जो नफरत के पुजारी हैं, आज वो ज्यादा नजर आ रहे हैं. अगर हमने उन्हीं के लहजे में जवाब देना शुरू किया तो वो अपने मकसद में कामयाब हो जायेंगे. मुल्क की साइलेंट मेजोरिटी इस बात को समझती हैं की ऐसे लोग मुल्क के गद्दार हैं. नफरत का जवाब नफरत से नहीं दिया जा सकता. नफरत को मोहब्बत से बुझाया जा सकता है. वो देश को अखंड भारत बनाने की बात करते हैं और देश के मुसलमान का पैदल चलना तक दुश्वार कर दिया है. वो मुल्क के साथ दुश्मनी कर रहे हैं. जरूरत पड़ेगी तो दारूल रसम को आबाद करेंगे.

ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर बोले मदनी
ज्ञानवापी मस्जिद के मुद्दे पर उन्होंने कहा, "मस्जिदों के बारे में भी बात होगी. कल इस पर चर्चा होगी. जमात के फैसले से पहले कोई बात नहीं होगी और जमात के फैसले के बाद कोई कदम पीछे नहीं हटेगा. सिर्फ अल्लाह का नाम रहेगा, बाकी सब तो जातियां हैं और ये जातियां तो खत्म हो जाएंगी. अगर जमीयत-ए-उलेमा कमजोर हो गया तो भारत का मुसलमान कमजोर हो जाएगा. मीडिया के माध्यम से दीवारें खड़ी की जा रही हैं. नतीजे ये हैं कि ये खाई बढ़ रही हैं. ये हमारी और सरकार के साथ मीडिया की भी जिम्मेदारी है कि वह इस खाई को दूर करें." 

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नफरत का बाजार सजाने वाले देश के दुश्मन: मदनी
मदनी ने कहा, "हमें सबसे ज्यादा प्यार इस देश की शांति से है, सभी लोग राष्ट्र निर्माण और राष्ट्र मजबूत करने की बात करते हैं लेकिन नफरत के टोले पर खामोश रहते हैं. उन्होंने कहा कि नफरत की दुकान खोलने वाले और नफरत का बाजार सजाने वाले लोग देश के दुश्मन हैं. नफरत का जवाब कभी नफरत नहीं हो सकता, हम नफरत का जवाब मुहब्बत से देने वाले लोग हैं. देश में फैल रही नफरत को मोहब्बत से बचाने की जरूरत है. नफरत फैलाने वालों की संख्या बहुत कम है, लेकिन इस समय वह बढ़ रही है. हम भी नफरत का जवाब नफरत से दे सकते हैं लेकिन देश का मुसलमान कभी ऐसा नहीं करेगा, ना कभी ऐसा किया है. 

जमीअत उलमा हिंद देश को आबाद करने वाला देश का सबसे पुराना संगठन 
मदनी ने कहा, " हम इस देश को आबाद करने वाले हैं, जमीअत उलमा हिंद देश को आबाद करने वाला देश का सबसे पुराना संगठन है. उन्होंने कहा कि बोलने से ज्यादा करने की जरूरत है. हम धार्मिक स्थलों और इबादतगाहों के लिए प्रस्ताव लाएंगे और प्रस्ताव लाकर बात रखेंगे और फिर पीछे नहीं हटेंगे. देश को गलत रास्ते पर जाने से रोकने के लिए एक नए जूनून और नए खून की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हम वह नहीं करेंगे जो वो चाहते हैं लेकिन हम वह करेंगे. हम अपनी प्लानिंग से चलेंगे. सरकारें आने-जाने वाली हैं, सरकार हमेशा किसी की नहीं होती है. बाकी रहने वाली जात अल्लाह की है.

मीडिया में भी मुकाबले का दौर चल रहा: मदनी
मदनी ने कहा, "मीडिया में भी मुकाबले का दौर चल रहा है और देश में नफरत की खाई बढ़ रही है, इस नफरत को खत्म करने की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी सरकार की है और उससे कहीं ज्यादा मीडिया की है, हमे ये जिम्मेदारी है पहले से निभा रहे हैं और आगे भी निभाते रहेंगे, लेकिन अगर मीडिया और सरकार अपनी जिम्मेदारियां नहीं निभाएगी तो उसके जिम्मेदार आप खुद होंगे. बता दें कि इस अधिवेशन में 25 राज्यों से लगभग 2000 मुस्लिम संगठनों के लोग शामिल होंगे. इस अधिवेशन में आम जन के शिरकत करने की इजाजत नहीं है. 

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