लखनऊ: यूपी के चुनावी मैदान में जब 2019 का लोकसभा लड़ा गया था तो 'बुआ-बबुआ' को जोड़कर किए जाने वाले कमेंट्स में लोगों की खास दिलचस्पी थी. अब 2022 की चुनावी दंगल में भी 'बुआ-बबुआ' की तल्खी की एंट्री हो चुकी है. आज संविधान दिवस के दिन लखनऊ में मायावती (Mayawati) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में  बीजेपी पर जमकर भड़ास निकालने के साथ अखिलेश यादव को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि अखिलेश (Akhilesh) की समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से दलित खासकर सावधान रहें. ली. मायावती इतने पर ही नहीं रूकीं. उन्होंने निजी क्षेत्र में आरक्षण की भी मांग कर डाली. 


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सपा कभी दलितों को उत्थान नहीं कर सकती 
संविधान दिवस पर मायावती ने कहा कि अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी से दलित सावधान रहें. वह दलितों का विकास नहीं कर सकती है. क्योंकि सपा ने सांसद में एसी व एसटी का आरक्षण संबंधित बिल संसद में फाड़ दिया था. और बिल को फिर षड़यंत्र के तहत पास भी नहीं होने दिया गया. अथार्त इन जैसी पार्टियां कभी भी इन वर्गों का विकास व उत्थान आदि नहीं कर सकती. 


अब संविधान का भी विरोध 
जिस संविधान के बलबूते मायावती को यूपी जैसे बड़े सूबे की मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ. जिस संविधान की शपथ लेकर वो मुख्यमंत्री बनीं. उस संविधान के पालन में उनको अब खोट नजर आ रहा है. दरअसल, यूपी में महज कुछ महीने बाद ही विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में अपना हित साधने के लिए  विरोध की राजनीति जारी है और रणनीति यही है कि बस विरोध करने के लिए विरोध करना है. मुद्दा चाहे कुछ भी हो. ऐसे में मायावती ने संविधान दिवस कार्यक्रम का विरोध करने का एलान किया है.


प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की मांग 
बसपा सुप्रीमों ने आगे कहा कि इन उपेक्षिकत वर्गों के लिए प्राइवेट सेक्टर में अभी तक भी आरक्षण देने की कोई भी व्यवस्था नहीं की गई है. क्या ऐसे ही केंद्र और राज्य सरकारों के द्वारा ऐसे ही संविधान का पालन किया जा रहा है.उन्होंने कहा कि देश में गरीबी बढ़ रही है और खासतौर से मध्यम व गरीब लोग बहुत दुखी हैं. केंद्र व राज्य सरकारों को इस पर ध्यान देना चाहिए. 


मायावती ने कृषि कानूनों पर भी रखी बात 
मायावती ने कृषि कानूनों पर भी अपनी बात रखी. कहा कि तीन कृषि कानून  वापस कर लिए गए हैं जो बहुत उचित कदम है.  लेकिन, किसानों की अन्य जरूरी मांगों को भी पूरा कर लेना चाहिए ताकि किसान अपने घरों को खुशी-खुशी वापस लौट सकें.


पार्टी में ही नहीं हो रहा संविधान का पालन 
एक तरफ मायावती संविधान की दुहाई देती नजर आ रही हैं. चुनाव से पहले अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगी हुई हैं. लेकिन, लगता है कि उनकी पार्टी में ही संविधान का ठीक से पालन नहीं हो रहा है. तभी तो उनके करीब 75 फीसदी विधायक उनका साथ छोड़ गए. 


सपा विधानमंडल दल के नेता शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने गुरुवार को मायावती को पत्र लिखकर पार्टी को अलविदा कह दिया है, जिसे पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. शाह आलम की जगह अब उमा सिंह को बसपा ने विधानमंडल का नेता बनाया है. वहीं बीजेपी ने मायावती के वार पर करारा प्रहार किया है.


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