Navratri 2021: देवी मां के नाम 'चंद्रघंटा' के पीछे की वजह यह मानी जाती है कि उनके मस्तक का आकार अर्धचंद्र घंटे की तरह है...
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Navratri 2021: आज नवरात्रि के पावन पर्व का तीसरा दिन है. यानी मां चंद्रघंटा की अराधना का दिन. माना जाता है कि जो भी आज के दिन मां चंद्रघंटा की श्रध्दा भाव से पूजा करता है, उसके सभी कष्टों का नाश होता है. मां का यह स्वरुप शांति प्रदान करने वाला है. कथाओं के अनुसार देवी मां असुरों के संहार के लिए इस रूप में आई थीं.
Navratri 2021: मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन कर मन को मिलती है परम शांति, होता है हर मनोकामना पूरी
इसलिए पड़ा देवी का नाम चंद्रघंटा
देवी मां के नाम 'चंद्रघंटा' के पीछे की वजह यह मानी जाती है कि उनके मस्तक का आकार अर्धचंद्र घंटे की तरह है. माना जाता है कि उनका शरीर सोने की तरह चमकता है. मां की दस भुजाएं हैं, जिनमें अस्त्र-शस्त्र सुशोभित हैं और उनकी सवारी सिंह है.
यहां है मां चंद्रघंटा का मंदिर
अगर आज के दिन आप मां चंद्रघंटा के दर्शन कर पाएं तो कोई मौका न छोड़ें. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में मां का एक प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर है. जिस चौक पर यह मंदिर स्थित है, वह काफी व्यस्त रहता है. कहा जाता है कि पुराणों में इस मंदिर का विशेष तौर पर उल्लेख किया गया है. मां दुर्गा यहीं पर मां चंद्रघंटा के रूप में विराजमान हैं.
9 स्वरूपों के एक साथ होते हैं दर्शन
कह सकते हैं कि यह एक ही ऐसा मंदिर है, जहां देवी के सभी 9 स्वरूपों के दर्शन एक जगह पर हो जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां आकर मां के दर्शन करने से ही भक्तों के शारीरिक और मानसिक तनाव और कष्ट दूर होने लगते हैं.
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