Navratri 2022: प्रयागराज में है मां चंद्रघंटा का प्राचीन मंदिर, यहां देवी के 9 स्वरूपों के एक साथ होते हैं दर्शन
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Navratri 2022: प्रयागराज में है मां चंद्रघंटा का प्राचीन मंदिर, यहां देवी के 9 स्वरूपों के एक साथ होते हैं दर्शन

Prayagraj News: प्रयागराज में देवी मां का एक प्राचीन मंदिर हैं, जहां मां दुर्गा के सभी स्वरूपों के दर्शन एक साथ कर सकते हैं...

 Navratri 2022: प्रयागराज में है मां चंद्रघंटा का प्राचीन मंदिर, यहां देवी के 9 स्वरूपों के एक साथ होते हैं दर्शन

Navratri 2022: शारदीय नवरात्रि का आज तीसरा दिन है. नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा (Maa Chandra Ghanta) को समर्पित है. मान्यता है कि जो भी आज के दिन मां चंद्रघंटा की सच्चे दिल से पूजा-अर्चना करता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते है. मां का यह स्वरुप शांति प्रदान करने वाला है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, देवी मां असुरों के संहार के लिए चंद्रघंटा रूप में आई थीं.

यहां है मां चंद्रघंटा का मंदिर
प्रयागराज के चौक में मां का एक प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर है. यह इलाका काफी व्यस्त रहता है. यह मां क्षेमा माई का बेहद प्राचीन मंदिर है. कहा जाता है कि पुराणों में इस मंदिर का विशेष तौर पर उल्लेख किया गया है. मां दुर्गा यहीं पर मां चंद्रघंटा के रूप में विराजमान हैं. यह एक ही ऐसा मंदिर है, जहां देवी के सभी 9 स्वरूपों के दर्शन एक जगह पर हो जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि माता के दर्शन करने मात्र से ही भक्तों के शारीरिक और मानसिक तनाव दूर हो जाते हैं. नवरात्रि के नौं दिन इस मंदिर में भक्तों का सुबह से तांता लगा रहता है. 

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क्यों पड़ा देवी का नाम चंद्रघंटा? 
देवी मां के नाम 'चंद्रघंटा' के पीछे की वजह बेहद खास है. दरअसल, उनके मस्तक का आकार अर्धचंद्र घंटे की तरह है. माना जाता है कि उनका शरीर सोने की तरह चमकता है. मां की दस भुजाएं हैं, जिनमें अस्त्र-शस्त्र सुशोभित हैं और उनकी सवारी सिंह है. 

कल नवरात्रि का चौथा दिन 
कल नवरात्रि का चौथा दिन है. यह दिन माता कुष्मांडा को समर्पित होता है. मां कुष्मांडा को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है. आठ भुजाओं वाली माता कुष्मांडा के हाथों में कमंडल, धनुष-बाण, कमल का फूल, अमृत भरा कलश, चक्र और गदा है. नवरात्रि के चौथे दिन हरा रंग पहनना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि मां कुष्मांडा की सच्चे मन से अराधना करने पर मनवांछित फल मिलता है. 

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