नोएडा में बैठकर अमेरिकी नागरिकों से की करोड़ों की ठगी, पुलिस ने 8 को किया गिरफ्तार, सरगना की तलाश
एडीसीपी, रणविजय सिंह ने बताया कि ये ठग रोज करीब 3-4 हजार यूएस डॉलर कि ठगी करते थे. यह भारतीय मुद्रा के हिसाब से 2.5-3 लाख रुपये होता है. वहीं, पता चला है कि ये लोग पिछले एक साल से कॉल सेंटर चला रहे थे और इसी एक साल में सैकड़ों लोगों से लगभग 7 करोड़ की ठगी कर चुके हैं...
गोतमबुद्ध नगर: भारत की राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा में कुछ ऐसे शातिर ठग पाए गए हैं, जो यहीं बैठकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ठगी करते हैं. दरअसल, नोएडा पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो अमेरिका के रहने वालों को ड्रग कार्टेल्स में फंसाने की धमकी देता था और फिर सोशल सेक्योरिटी के नाम पर गूगल गिफ्ट कार्ड ले लेता था. नोएडा पुलिस और DOT (डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशन) के जॉइंट ऑपरेशन के जरिये इस सैंटा क्लारा सिटी कैलिफोर्निया गिरोह की करतूतें सामने आ सकी हैं. बता दें, यूएसए के नागरिकों के साथ धोखाधड़ी करने के मामले में 8 आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है.
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लाखों के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद
गौरतलब है कि USA में भारतीय मूल निवासियों की काफी संख्या है. ऐसे में यह गैंग उन्हें ही टारगेट करती थी. जानकारी के मुताबिक, यह गिरोह AP TECHNOMART PVT. LTD. के नाम से एक कंपनी का संचालन कर रहा था. आरोपियों के पास से 10 कंप्यूटर, 1लैपटॉप, 10 हेडफोन, 1 राऊटर, 4 हार्डडिस्क, 16 रैम, 1 केबल टेस्टर, 99 कंपनी के नाम के लेटरपैड, 41 डाक्यूमेंट्स और 6 मोबाइल फ़ोन बरामद हुए हैं.
मध्य प्रदेश में है मास्टरमाइंड
मामला नोएडा के थाना 58 इलाके का है. पुलिस ने जानकारी दी है कि ये ठग इंटरनेट कॉलिंग करके USA नागरिकों को सोशल सिक्योरिटी के नाम पर धमकाते थे और उनसे साइबर ठगी किया करते थे. इनका मास्टरमाइंड मध्य प्रदेश में बैठकर गिरोह की कमान संभाल रहा है. मुख्यारोपी का नाम विनोद लखेरा है जो पन्ना जिले में रहता है, लेकिन अभी फरार चल रहा है.
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सैकड़ों लोगों से 7 करोड़ की ठगी
एडीसीपी, रणविजय सिंह ने बताया कि ये ठग रोज करीब 3-4 हजार यूएस डॉलर कि ठगी करते थे. यह भारतीय मुद्रा के हिसाब से 2.5-3 लाख रुपये होता है. वहीं, पता चला है कि ये लोग पिछले एक साल से कॉल सेंटर चला रहे थे और इसी एक साल में सैकड़ों लोगों से लगभग 7 करोड़ की ठगी कर चुके हैं. इसी के साथ सरकार को भी राजस्व का लॉस हो रहा था और साइबर सेक्योरिटी का भी खतरा था.
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