बीजेपी को चुनौती देने के लिए अखिलेश की समाजवादी पार्टी के साथ तीन धड़े एक साथ खड़े होने की तैयारी में हैं. ये तीन दल हैं, जयंत चौधरी का रालोद, कृष्णा पटेल की अपना दल (S) और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी.
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नई दिल्ली: यूपी की सियासी में आज बेहद हलचल वाला दिन रहा. बीजेपी को चुनौती देने के लिए अखिलेश की समाजवादी पार्टी के साथ तीन धड़े एक साथ खड़े होने की तैयारी में हैं. ये तीन दल हैं, जयंत चौधरी का रालोद, कृष्णा पटेल की अपना दल (S) और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी. सपा की ओमप्रकाश राजभर के बाद जयंत चौधरी की आरएलडी के साथ गठबंधन लगभग फाइनल हो चुका है. मंगलवार को अखिलेश और जयंत की मुलाकात के बाद की तस्वीर ने गठबंधन पर मुहर लगा दिया. सूत्रों के मुताबिक गठबंधन फाइनल है. बस सीटों को लेकर चर्चा होनी है.
अपना दल (कृष्णा गुट ) की नेता कृष्णा पटेल ने भी अखिलेश से मुलाकात कर सपा के साथ गठबंधन का एलान कर दिया है. वहीं आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने भी अखिलेश से मुलाकात कर साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात कही है.
5 छोटे दलों से किया गठबंधन
सपा क्षेत्रीय और जातीय संतुलन साधने के लिए छोटे दलों से गठबंधन कर रही है. पार्टी अब तक अलग-अलग इलाकों के पांच छोटे दलों से गठजोड़ कर चुकी है. रालोद से गठबंधन से पहले अखिलेश ने केशव देव मौर्य के महान दल, डॉ. संजय सिंह चौहान की जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट), शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से गठबंधन किया है.
कुछ दिनों पहले अखिलेश यादव ने भगवा झंडे को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा था...अखिलेश ने ट्वीट कर लिखा, बीजेपी की तरह एक रंग वाले कभी बदलाव नहीं ला सकते. समाजवादी का रंग सब लोगों को साथ लेकर चलने वाला रंग है.
अखिलेश का इशारा साफ था और अखिलेश अपनी रणनीति के तहत ही अपने मिशन में जुटे हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि 400 सीट जीतने का दावा करने वाले अखिलेश क्या इतने बौने साबित हो रहे हैं कि उन्हें छोटे दलों का साथ लेना पड़ रहा है. आखिर क्यों अखिलेश के दावों की हवा निकलती दिख रही है.
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