देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए उठती मांगों के बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने बड़ा बयान दिया है. बोर्ड ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हुआ तो वह पूरी तरह असंवैधानिक होगा और मुसलमान उसे कतई मंजूर नहीं करेंगे.
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Reaction on Uniform Civil Code: देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए उठती मांगों के बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने बड़ा बयान दिया है. बोर्ड ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हुआ तो वह पूरी तरह असंवैधानिक होगा और मुसलमान उसे कतई मंजूर नहीं करेंगे. इस पर जामियत दावतुल मुसलीमीन के संरक्षक तथा प्रसिद्ध आलिम कारी इरशाद गोरा का बयान सामने आया है.
इरशाद गोरा ने कहा कि वह मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के बयान से सहमत हैं क्योंकि यूनिफॉर्म सिविल कोड केवल एक समुदाय को टारगेट करने के लिए है. इसको लाने का मकसद बस एक समुदाय को टारगेट किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हम मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड से सहमत हैं. उन्होंने कहा कि इसका लाने का मतलब मुसलमानों को टारगेट करना है.
महासचिव ने जारी किया पत्र
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने इस संबंध में मंगलवार को एक विरोध पत्र जारी किया था. पत्र में केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वह UCC पर कोई भी कदम उठाने से परहेज करे. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने समान नागरिक संहिता को असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी बताया.
हर नागरिक को अपने धर्म के हिसाब से जीने का अधिकार
AIMPLB के महासचिव हज़रत मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रहमानी ने अपने जारी किए गए प्रेस नोट में कहा कि भारत के संविधान ने देश के हर नागरिक को उसके धर्म के अनुसार जीवन जीने की अनुमति दी गई है और इसे मौलिक अधिकारों में शामिल रखा गया है. इन्हीं अधिकारों के अंतर्गत अल्पसंख्यकों और आदिवासी वर्गों के लिए उनकी इच्छा और परंपराओं के अनुसार अलग-अलग पर्सनल लॉ रखे गए हैं. रहमानी ने कहा कि यह मुसलमानों के लिए यह अस्वीकार्य है.
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