कुरेदे हैं घाव और बता रहे मरहम, सलमान खुर्शीद का अपने लिखे काे सही जताने का प्रयास
सलमान ख़ुर्शीद ने कहा, मेरी किताब देश की आज की स्थिति पर मरहम लगाने का एक प्रयास है.
लखनऊ: कांग्रेस नेता सलमान ख़ुर्शीद अपनी लिखी किताब 'सनराइज़ ओवर अयोध्या' पर हो रहे विवादों पर अब प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं. पर राग वही अलाप रहे हैंं,जो उनकी किताब में ध्वनित हो रहा है. उन्होंने एक समाचार एजेंसी से इस बारे में बात करते हुए कहा कि मैंने अपनी किताब में 'हिंदू धर्म' को नहीं बल्कि 'हिंदुत्व' को आतंकवादी संगठनों से जोड़ा है. हिंदू धर्म के बारे में तो मैंने बहुत कुछ अच्छा लिखा है. जो लोग पूरी किताब पढ़ेंगे उन्हें यह मालूम होगा.
मंदिर-मस्जिद विवाद और कोर्ट के फैसले को लेकर लिखी अपनी बातों पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि " रामजन्मभूमि विवाद पर जब कोर्ट का फ़ैसला आया तो यह बहुत लंबा फ़ैसला था. 1500 पेज का फैसला था. लोग इस फ़ैसले को बिना पढ़े अपनी राय दे रहे थे. कुछ कह रहे थे- हमें ठीक नहीं लगा कि मस्जिद नहीं बनने दी जा रही, कुछ ने कहा कि आपने मंदिर बनवा दिया. इन प्रतिक्रिया देने वालों में से किसी ने पढ़ा-समझा नहीं कि सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला कैसे किया? क्यों किया? मैं चूंकि कानून-कोर्ट से जुड़ा रहा हूं, इसलिए मेरी यह जिम्मेदारी थी कि इस फ़ैसले को आसान रूप से सामने रखूं. मैंने दो बार 1500 पेज का फैसला पूरा पढ़ा और समझने की कोशिश की. तब मैंने माना कि ये अच्छा फ़ैसला है. इसे समझकर ही मैंने अपनी बात रखी. मेरी किताब देश की आज की स्थिति पर मरहम लगाने का एक प्रयास है."
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एक अन्य पोर्टल से बात करते हुए उन्होंने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि बीजेपी वाले कह रहे हैं कि मुझे हिंदुत्व का मतलब नहीं पता तो वो मुझे इसका मतलब बता दें. वे लोग इतने समय से सरकार में है, तो मुझे हिंदुत्व का मतलब बताते क्यों नहीं हैं. हिंदुत्व का मतलब लिंचिंग, कहीं आग लगाना है कि नहीं है? वे मुझे ये बता दें. सिर्फ दूसरों पर उंगली उठाने से क्या होगा.हिंदुत्व को जानते हैं तो खुद किताब लिखकर बताएं कि उनका हिंदुत्व कितना उदार और कितना अच्छा है.
इसी इंटरव्यू में वह अपने लिखे पर कांग्रेस की नाराजगी और खुद के द्वारा अपनी पार्टी वालों को टारगेट करने के मामले पर बोले- अपनी पार्टी और उसके नेतृत्व पर मुझे गर्व है. वे यह नहीं सोचते कि कौन हिंदू है, कौन मुसलमान है. इसलिए उस नेतृत्व पर मुझे गर्व है और उन्हें मैं अपना नेता मानता हूं. अगर कोई समझता है कि नैरेटिव कुछ और होना चाहिए तो उसको नेतृत्व से बात करनी चाहिए.
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