सपा नेता आसिफ सिद्दीकी को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ा झटका, केस रद्द करने की याचिका खारिज
आसिफ सिद्दीकी ने 21 दिसंबर 2021 को प्रयागराज के कैंट थाने में दर्ज छेड़खानी के मुकदमे को कोर्ट में चुनौती दी थी और एफआईआर में लगाए गए आरोप को दुर्भावनापूर्ण बताया था. सपा नेता ने शिकायतकर्ता पर पैसे ऐंठने के लिए फर्जी केस में फंसाने का आरोप लगाया था...
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के नेता आसिफ सिद्दीकी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. दरअसल, आसिफ सिद्दीकी को हाई कोर्ट की तरफ से बड़ा झटका लगा है. छेड़खानी के मामले में आरोपी आसिफ सिद्दीकी की एफआईआर रद्द करने की मांग वाली याचिका को न्यायालय ने खारिज कर दिया है.
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याची ने शिकायतकर्ता पर लगाए ये आरोप
बता दें, आसिफ सिद्दीकी ने 21 दिसंबर 2021 को प्रयागराज के कैंट थाने में दर्ज छेड़खानी के मुकदमे को कोर्ट में चुनौती दी थी और एफआईआर में लगाए गए आरोप को दुर्भावनापूर्ण बताया था. सपा नेता ने शिकायतकर्ता पर पैसे ऐंठने के लिए फर्जी केस में फंसाने का आरोप लगाया था.
याचिका में कही गईं ये बातें
वहीं, याची का कहना है कि शिकायतकर्ता के खिलाफ 22 केसेस दर्ज हैं. उसने पैसे ऐंठने के चक्कर में याची पर मुकदमा दर्ज कराया है. वहीं, याचिका में यह भी कहा गया है कि 1 दिसंबर 2021 को मुंबई में मानहानि का केस दर्ज होने के बाद बदले की भावना से शिकायतकर्ता ने छेड़खानी का झूठा केस दर्ज कराया है. बता दें, याची आसिफ सिद्दीकी लोकसभा चुनाव भी लड़ चुका है.
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कोर्ट ने खारिज की याचिका
हालांकि, सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि पीड़िता द्वारा मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए बयान से याची के खिलाफ प्रथमदृष्टया संज्ञेय अपराध बनता है. एडवोकेट ने बताया कि शिकायतकर्ता के खिलाफ अब केवल 6 केसेस शेष हैं और उसने पहले कभी भी याची के खिलाफ केस दर्ज नहीं कराया है. पीड़िता द्वारा मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयान से याची के खिलाफ प्रथमदृष्टया संज्ञेय अपराध बनता है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी है. बता दें, जस्टिस सुमित कुमार और जस्टिस दीपक वर्मा की डिवीजन बेंच ने यह आदेश दिया है.
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