हरेंद्र नेगी/रुद्रपुर: विश्व विख्यात भगवान केदारनाथ के क्षेत्ररक्षक भैरवनाथ के कपाट विधि-विधान से बंद हो गए हैं. इसी के तहत केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. अब 27 अक्टूबर को केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के छह माह के लिए विधि-विधान से बंद किए जाएंगे. केदारनाथ धाम से लगभग एक किमी की दूरी पर भैरवनाथ का मंदिर स्थित है. भैरवनाथ को केदारनाथ धाम के क्षेत्र रक्षक के रूप में पूजा जाता है. हर साल भगवान केदारनाथ के कपाट बंद करने से पहले केदारनाथ के क्षेत्र रक्षक भैरवनाथ के कपाट बंद किए जाते हैं. भैरवनाथ के कपाट शनिवार या फिर मंगलवार के दिन बंद होते हैं. इस बार केदारनाथ धाम के कपाट 27 अक्टूबर को बंद हो रहे हैं. कपाट खुलने से पहले यह शनिवार पड़ गया है. इस कारण शनिवार को भैरवनाथ के कपाट छह माह शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं. 


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भैरवनाथ मंदिर की है विशेष महिमा
बाबा केदार के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से जब बाबा केदार की डोली को केदारनाथ भेजते हैं तो उससे एक दिन पहले भैरवनाथ की पूजा होती है. केदारनाथ पहुंचने पर भले ही भगवान केदारनाथ के कपाट खुल जाते हैं, लेकिन केदारनाथ की आरती तब तक नहीं होती है, जब तक केदारनाथ में स्थित भैरवनाथ मंदिर के कपाट नहीं खोले जाते हैं. भैरवनाथ के कपाट खुलने के बाद ही केदारनाथ भगवान की विधिवत आरती व पूजाएं शुरू की जाती हैं. 


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3 मई से शुरू हुई थी चारधाम यात्रा


कहा जाता है कि केदारनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं को भगवान भैरवनाथ के दर्शन जरुर करने चाहिए. शनिवार को केदारनाथ धाम के पुजारी गंगाधर लिंग ने विधि-विधान से भगवान भैरवनाथ के कपाट बंद किए. कपाट बंद होने के अवसर पर भैरव मंदिर में भारी संख्या में भक्त पहुंचे और भक्तों में भैरव बाबा के दर्शन करने के बाद भारी उत्साह था. 3 मई को गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने से ही चारधाम यात्रा प्रारंभ हो गई थी. अब दशहरे के मौके पर चार धाम यात्रा के कपाट बंद होने की तिथि भी आ गई है. बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को शाम 3 बजकर 35 मिनट पर बंद होंगे.