UP Chunav 2022: 2017 की आंधी में भी BJP को इन 5 सीटों पर मिली थी करारी हार, प्रत्याशी नहीं बचा सके थे जमानत
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UP Chunav 2022: 2017 की आंधी में भी BJP को इन 5 सीटों पर मिली थी करारी हार, प्रत्याशी नहीं बचा सके थे जमानत

सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (BJP) को बीते विधानसभा में ऐतिहासिक जीत मिली थी, जहां पार्टी ने 384 सीटों में से 312 सीटें जीतकर सूबे में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी. हालांकि, भाजपा की आंधी में भी 5 ऐसी सीटें थीं, जहां बीजेपी उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई थी.

UP Chunav 2022: 2017 की आंधी में भी BJP को इन 5 सीटों पर मिली थी करारी हार, प्रत्याशी नहीं बचा सके थे जमानत

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सियासी पारा चढ़ा हुआ है. राजनीतिक दल अपनी सियासी जमीन मजबूत करने में लग गए हैं. सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (BJP) को बीते विधानसभा में ऐतिहासिक जीत मिली थी, जहां पार्टी ने 384 सीटों में से 312 सीटें जीतकर सूबे में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी. हालांकि, भाजपा की आंधी में भी 5 ऐसी सीटें थीं, जहां बीजेपी उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई थी. आइए जानते हैं उन सीटों के बारे में.... 

गौरीगंज सीट
2010 से पहले गौरीगंज सुल्तानपुर जिले का हिस्सा था. लेकिन बाद में यह अमेठी जिले में शामिल हो गया. अमेठी की गौरीगंज सीट पर 2017 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी प्रत्याशी राकेश प्रताप सिंह ने जीत दर्ज की थी. उनको 77 हजार 915 वोट या 38.98 फीसदी वोट मिले थे. वहीं, भाजपा प्रत्याशी उमाशंकर पांडेय की जमानत जब्त हो गई थी. उनको महज 23 हजार 642 वोट या 11.83 फीसदी वोट ही मिले थे. 

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सहसवान के किले को कभी नहीं भेद पाई भाजपा
बदायूं की सहसवान विधानसभा सीट भाजपा के लिए बेहद मुश्किल सीटों में से एक मानी जाती है. यहां भाजपा एक बार भी जीत दर्ज करने में कामयाब नहीं हो सकी. 1990 के बाद से यहां यादव जाति का ही उम्मीदवार जीतता रहा है. दरअसल यहां यादव-मुस्लिम मतदाता बाहुल्य सीट है. बीते चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी आशुतोष वार्ष्णेय की जमानत जब्त हो गई थी. उनको महज 10.15 फीसदी वोट मिले थे. वहीं, सपा प्रत्याशी ओंकार सिंह ने 32 फीसदी वोट हासिल किए थे. 

रायबरेली सदर सीट 
गांधी परिवार का गढ़ मानी जाने वाली रायबरेली सदर सीट पर भी भाजपा को करारी शिकस्त मिली थी. यहां कांग्रेस प्रत्याशी अदिति सिंह को 62.94 फीसद वोट मिले थे. वहीं, भाजपा प्रत्याशी अनीता श्रीवास्तव को केवल 28 हजार 821 यानी 14.14 फीसद वोट मिले थे. हालांकि, अदिति सिंह अगले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार हो सकती हैं. पिछला विधानसभा चुनाव उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर जीता था. लेकिन बाद में खुद को वैचारिक तौर पर कांग्रेस से अलग कर लिया. 

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हाथरस की सादाबाद सीट 
हाथरस की सादाबाद विधानसभा सीट पर भी बीजेपी की जमानत जब्त हो गई थी. यहां बसपा के रामवीर उपाध्याय ने कुल 91 हजार 365 यानी 40.51 फीसदी वोट से जीत दर्ज की थी. वहीं, भाजपा की प्रीती चौधरी को महज 36 हजार 134 वोट यानी 16.02 फीसद वोट पड़े थे. हालांकि अब इस सीट के सियासी समीकरण बदल गए हैं. बसपा से निलंबित होने के बाद रामवीर उपाध्याय की पत्नी समेत पूरा परिवार भाजपा में शामिल हो गया है. ऐसे में उनके चुनाव लड़ने की संभावना ज्यादा मानी जा रही है. 

प्रयागराज की सोरांव सीट
प्रयागराज की सोरांव सीट पर गलतफहमी की वजह से भाजपा की जमानत जब्त हुई थी. दरअसल, पहले भाजपा प्रत्याशी ने सीट पर पर्चा दाखिल किया लेकिन बाद में भाजपा के सहयोगी दल अपना दल को यह सीट दे दी गई. जिस वजह से बीजेपी प्रत्याशी अपना पर्चा वापस नहीं ले पाए. हालांकि, सीट पर अपना दल ने जीत दर्ज की. उन्हें 37.02 फीसद वोट मिले. वहीं, बीजेपी प्रत्याशी सुरेंद्र चौधरी को 6 हजार 522 वोट यानी 3.10 फीसद वोट ही मिले थे.  

जमानत बचाने के लिए चाहिए इतने फीसदी वोट 
बता दें, ऐसे हारे हुए प्रत्याशी जो किसी निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल विधि मान्य वोटों की संख्या के छठे भाग से अधिक मत प्राप्त करने में असफल होता है. उसकी जमानत राशि जब्त हो जाती है. जैसे किसी विधानसभा सीट पर अगर 1 लाख वोटिंग हुई तो जमानत बचाने के लिए प्रत्येक प्रत्याशी को छठे भाग से अधिक यानि करीब 16 हजार 666 वोटों से अधिक वोट लेनें होंगे.

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