UP Chunav: विधायकों का साथ छूटने पर क्या BJP को होगा नफा या अखिलेश की होगी चांदी?
Advertisement

UP Chunav: विधायकों का साथ छूटने पर क्या BJP को होगा नफा या अखिलेश की होगी चांदी?

यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) की बिसात बिछते ही नेताओं और विधायकों की दलबदल दौड़ शुरू हो गई है. योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य समेत आठ विधायक अब तक भाजपा का दामन छोड़ चुके हैं, जिसमें से ज्यादातर ने साइकिल की सवारी कर ली है.

UP Chunav: विधायकों का साथ छूटने पर क्या BJP को होगा नफा या अखिलेश की होगी चांदी?

मयूर शुक्ला/लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) की बिसात बिछते ही नेताओं और विधायकों की दलबदल दौड़ शुरू हो गई है. योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य समेत आठ विधायक अब तक भाजपा का दामन छोड़ चुके हैं, जिसमें से ज्यादातर ने साइकिल की सवारी कर ली है. ऐसे में चुनाव से पहले भाजपा में हुई इस सेंधमारी से किसको नफा होगा और किसको नुकसान, यहां जानिए...

क्या 80-20 का रेशियो हो जाएगा कम?
बीजेपी हो, सपा हो, कांग्रेस हो या बसपा, आखिर नेताओं की सोच तो एक ही होती है. माननीय लोग जिस दल में ज्यादा फायदा देखते हैं उसी की तरफ लुढ़क जाते हैं. दिल्ली में जिस वक्त भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय पर केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक चल रही थी, उसी समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विधायकों के बीच भगदड़ मची थी. योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने पद से इस्तीफा दिया तो उनके साथ ही तीन विधायकों ने भी भाजपा को टाटा बाय-बाय कर दिया. बता दें कि भाजपा के चार विधायक पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं. इस तरह अभी तक 8 विधायकों का भरोसा भाजपा पर से उठ चुका है. चुनाव की तिथियों का ऐलान होते ही जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 80 और 20 के रेशियो को लेकर काफी आत्मविश्वास से लबरेज थे, ऐसे में विधायकों की मची भगदड़ से क्या यह रेशियो कम हो सकता है?

माफिया मुख्तार अंसारी की रिहाई मामले में हाई कोर्ट ने की सुनवाई, सरकार से मांगा जवाब

अचानक दल क्यों बदल रहे नेता
इस बात की हवा पूरे प्रदेश में जोरों से फैली है कि भारतीय जनता पार्टी 100 से 130 विधायकों के टिकट काटने जा रही है. यह वह वो विधायक होंगे जिनकी छवि उनके क्षेत्र में अच्छी नहीं है और उन्होंने 5 सालों में काम के नाम पर बस आराम ही किया है. मतलब साफ है कि ऐसे विधायक जिनको यह एहसास हो गया है कि उनका टिकट कटने जा रहा है, वह दूसरी पार्टियों में अपनी जगह तो तलाशेंगे ही. बात सिर्फ भाजपा की ही नहीं है, बल्कि सपा कांग्रेस और बीएसपी के भी तमाम नेता दल बदल की प्रक्रिया में लगे हैं. पिछले 6 महीने में कांग्रेस के भी 10 पुराने और दिग्गज नेता हाथ का साथ छोड़ चुके हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी से भी तमाम नेताओं ने पलायन किया है और अगर बात करें बहुजन समाज पार्टी की तो उसमें तो ऐसी भगदड़ मची है जैसे कोई मैराथन दौड़ चल रही हो.

योगी ने कहा था 80-20 का है मुकाबला
अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा करने जा रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आत्मविश्वास से लबरेज हैं. उनका मानना है कि यह मुकाबला 80% यानी भाजपा और 20% यानी विपक्ष के बीच है ऐसे में वो तीन चौथाई से अधिक सीटों को पार करके प्रचंड बहुमत की सरकार बनाने जा रहे हैं. लेकिन, चुनाव से ठीक पहले पार्टी में मची भगदड़ से क्या मुख्यमंत्री का 80% का आंकड़ा कम हो जाएगा? इसका गणित लगाना फिलहाल अहम हो जाता है.

अमित शाह-सीएम योगी की रैली में 'जय श्री राम' के नारे लगाने वाले मुस्लिम युवक को मिली पुलिस सुरक्षा

क्या अब होगी कांटे की टक्कर
उत्तर प्रदेश की राजनीति का इतिहास कौन नहीं जानता. दोबारा सत्ता पाना यूपी में नामुमकिन सा है और इस नामुमकिन काम को मुमकिन करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चल पड़े हैं. उनमें कॉन्फिडेंस तो भरपूर है लेकिन यह राजनीति है. कब किस ओर करवट ले ले इसकी जानकारी किसी को नहीं होती. उत्तर प्रदेश में पिछड़ा वर्ग एक बड़ा वोट बैंक है और इसी वोट बैंक के चलते 2017 में भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल की थी. लेकिन, फिलहाल जो भाजपा के नेता उनका साथ छोड़ रहे हैं, उसमें से ज्यादातर पिछड़ा वर्ग के हैं. आमतौर पर यूपी में चुनाव जाति के आधार पर लड़ा जाता है और यही वजह है कि सभी पार्टियां विकास के मुद्दों पर बात ना करके जातीय समीकरण साधना ज्यादा जरूरी समझती है. अगर इस बार भी यूपी की जनता ने जाति के आधार पर वोट दिया तो कहीं ना कहीं यह मुकाबला अब और भी रोचक होने वाला है. क्योंकि अखिलेश यादव भी लगातार अपनी जीत का ऐलान कर रहे हैं. ऐसे में देखना यह होगा कि जो नेता दल बदल कर अपना निजी फायदा देख रहे हैं, वह पार्टियों को कितना फायदा पहुंचा पाते हैं और यूपी की जनता किसके सिर पर ताज पहनाती है.

WATCH LIVE TV

Trending news