UP Chunav: मायावती ने कांग्रेस पर लगाया गंभीर आरोप, SC/ST व OBC को लेकर कही ये बड़ी बात
मायावती ने लिखा- `खासकर कांग्रेस पार्टी ने इनके मसीहा व संविधान निर्माता बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर को आदर-सम्मान देना व भारतरत्न से सम्मानित करना तो दूर बल्कि हमेशा उनकी उपेक्षा व तिरस्कार किया है.
लखनऊ: कृषि बिल के वापसी के बाद भी उत्तर प्रदेश में सियासत जारी है. इसी क्रम बसपा सुप्रीमो मायावती ने भारतीय जनता पार्टी को नसीहत दी हैं. मयावती ने बीजेपी के नेताओं के कथित भड़काऊ बयानों पर रोक लगाने की मांग की हैं. बसपा सुप्रीमो ने कहा कि पीएम 'नरेंद्र मोदी द्वारा लगभग एक वर्ष से आंदोलनरत किसानों की तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग स्वीकार किए जाने के साथ-साथ उनकी कुछ अन्य जायज मांगों का सामयिक समाधान भी जरूरी है'.
मायवती ने कांग्रेस पर साधा निशाना
पूर्व मुख्यमंत्री मयावती ने सोमवार को ट्वीट करते हुए लिखा- "कांग्रेस द्वारा पार्टी के गिरते जनाधार को रोकने व राजनीतिक स्वार्थ हेतु पंजाब में विधानसभा आमचुनाव से ठीक पहले दलित को सीएम बनाना तथा अब राजस्थान में कुछ एससी/एसटी मंत्री बनाकर उसको भाजपा द्वारा केन्द्रीय मंत्रिमण्डल विस्तार की तरह इनके हितैषी होने का ढिंढोरा पीटना शुद्ध छलावा".
मायावती ने बाबा साहेब का तिरस्कार का लगाया आरोप
मायावती ने लिखा- "खासकर कांग्रेस पार्टी ने इनके मसीहा व संविधान निर्माता बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर को आदर-सम्मान देना व भारतरत्न से सम्मानित करना तो दूर बल्कि हमेशा उनकी उपेक्षा व तिरस्कार किया है, तो फिर इन जैसी जातिवादी पार्टियां एससी/एसटी व ओबीसी की सच्ची हितैषी कभी कैसे हो सकती हैं"?
इन्दिरा गांधी पर लगाया यह आरोप
बसपा सुप्रीमो ने लिखा- "वैसे पूर्व में देश ने खासकर कांग्रेस पार्टी की श्रीमती इन्दिरा गांधी की रही सरकार के अहंकार एवं तानाशाही वाले रवैये आदि को काफी झेला है, किन्तु अब पूर्व की तरह वैसी स्थिति देश में दोबारा उत्पन्न नहीं हो, ऐसी देश को आशा है".
भाजपा को दी ये नसीहत
मायावती ने भारतीय जनता पार्टी को नसीहत देते हुए लिखा- "पीएम श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लगभग एक वर्ष से आन्दोलित किसानों की तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग स्वीकारने के साथ-साथ उनकी कुछ अन्य जायज मांगों का भी सामयिक समाधान जरूरी ताकि वे संतुष्ट होकर अपने-अपने घरों में वापस लौट कर अपने कार्यों में पूरी तरह फिर से जुट सकें".
"साथ ही, कृषि कानूनों की वापसी की केन्द्र सरकार की खास घोषणा के प्रति किसानों में विश्वास पैदा करने के लिए जरूरी है कि भाजपा के नेताओं की बयानबाजी पर लगाम लगे जो पीएम की घोषणा के बावजूद अपने भड़काऊ बयानों आदि से लोगों में संदेह पैदा करके माहौल को खराब कर रहे हैं".
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