कांग्रेस के गढ़ रायबरेली में बसपा ने ठोकी चुनावी ताल, इस सीट पर घोषित किया प्रत्याशी
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कांग्रेस के गढ़ रायबरेली में बसपा ने ठोकी चुनावी ताल, इस सीट पर घोषित किया प्रत्याशी

सोनिया गांधी के संसदीय सीट वाले ज़िले रायबरेली में बीएसपी (BSP) ने अपना पहला प्रत्याशी घोषित कर कर दिया है.

कांग्रेस के गढ़ रायबरेली में बसपा ने ठोकी चुनावी ताल, इस सीट पर घोषित किया प्रत्याशी

सैयद हुसैन अख्तर/रायबरेली: यूपी विधानसभा चुनाव ( UP Assembly Election 2022) को लेकर राजनीतिक दलों ने चुनावी ताल ठोकना शुरू कर दिया है. सोनिया गांधी के संसदीय सीट वाले ज़िले रायबरेली में बीएसपी (BSP) ने अपना पहला प्रत्याशी घोषित कर कर दिया है.

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यहां भाजपा के कब्जे वाली विधानसभा सीट सरेनी (Sarene) से ठाकुर प्रसाद यादव (Thakur Prasad Yadav) को प्रत्याशी घोषित किया है. पार्टी प्रत्याशी की घोषणा यहां पहुंचे बसपा के सेक्टर प्रभारी नौशाद अली ने की. सरेनी विधानसभा के बहाई गांव में आयोजित एक सभा के दौरान नौशाद अली ने प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा और सपा कांग्रेस को जमकर कोसा. हाई गांव में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में विधान परिषद सदस्य भीमराव अंबेडकर और सेक्टर प्रभारी लखनऊ मंडल नौशाद अली मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे थे. 

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यहां सैकड़ों की तादाद में जमा हुए कार्यकर्ताओं को जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि मायावती के निर्देश पर हम आपके बीच ठाकुर प्रसाद को प्रत्याशी के तौर पर आपके हवाले करते हैं. इन्हें विधायक बनाकर हमें वापस करना. बता दें कि ठाकुर प्रसाद 2017 में भी सरेनी विधानसभा से बसपा प्रत्याशी थे और दूसरे स्थान पर रहे थे. 

सीट का इतिहास
सरेनी सीट (Sareni Assembly Election)  पर चुनाव 1957 में हुआ था. जिसमें कांग्रेस के गुप्तार सिंह ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद वह 1962, 1967 और 1969 में भी यहां से विधायक बने. 1972 के उपचुनाव में कांग्रेस के आर. सिंह ने विजय रथ को आगे बढ़ाया. इसके बाद 1974 में शिवशंकर सिंह कांग्रेस से विधायक बने. 1977 और 1980 में कांग्रेस उम्मीदवार सुनीता चौहान ने जीत दर्ज की. 1985 में सुरेंद्र बहादुर सिंह निर्दलीय जीते और कांग्रेस के विजय रथ को रोक दिया. हालांकि 1989 में कांग्रेस से इंद्रेश विक्रम विधायक चुने गए.

बसपा का नहीं खुला खाता
भारतीय जनता पार्टी का इस सीट पर खाता 1991 में खुला जब गिरीश नारायण पांडे यहां से चुनाव जीते. उन्हें 1993 में भी यहां से जीत मिली. 1996 में सपा के अशोक सिंह ने और 2002 में देवेंद्र सिंह ने भाजपा को हराया. 2007 में अशोक सिंह चुनाव जीते और फिर कांग्रेस सत्ता में आई लेकिन 2012 में सपा के देवेंद्र प्रताप सिंह दोबारा विजय मिली. वहीं, 2017 में भाजपा के धीरेंद्र बहादुर सिंह यहां काबिज हुए. लेकिन यहां से बसपा का कभी खाता नहीं खुला.

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