UP Assembly Election 2022: बीजेपी दावा कर रही है कि, सेफ सीट की तलाश में दर दर भटकने वाले अखिलेश को हम घर में ही हराएंगे. हालांकि, अब 10 मार्च तक इंतजार करना होगा कि अखिलेश बीजेपी के चक्रव्यूह को आसानी से भेद पाएंगे या उन्हें घर में भी जीत के लिए पसीना बहाना पड़ेगा.
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karhal Assembly Election 2022: पिता के पैर छूकर आशीर्वाद लेना सामान्य शिष्टाचार का हिस्सा है. ये काम हम और आप सभी करते हैं,लेकिन अखिलेश यादव ने रैली के मंच पर नेताजी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया. इससे उन्होंने एक संदेश देने की कोशिश की. आज भले ही वो पार्टी के सर्वेसर्वा हों,लेकिन पिता मुलायम सिंह के आशीर्वाद के बिना वो कुछ भी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि नेताजी ने यहां कुश्ती लड़ी भी और बाद में सियासी कुश्ती लड़ाई भी.
करहल में एक बात और खास दिखी कि,वैसे तो मुलायम परिवार का कोई भी सदस्य अखिलेश के साथ या दूसरी जगह कैंपेन नहीं कर रहा, लेकिन जब बात परिवार की प्रतिष्ठा पर आई तो मुलायम कुनबे में अखिलेश को जिताने के लिए एकजुटता दिखी.
3 साल बाद अखिलेश के लिए रैली किए मुलायम
दरअसल, बीजेपी की लगातार कोशिश है कि, वो अखिलेश की करहल में आसान लगने वाली राह को ज्यादा से ज्यादा जटिल बनाए. इसीलिए मुलायम परिवार के प्रभाव वाली इस सेफ सीट पर भी बीजेपी ने अखिलेश को घर में घेरने की खास रणनीति बनाई है.शायद तभी समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव को 3 साल बाद अखिलेश के लिए रैली करना पड़ा.
अखिलेश को घेरने की बीजेपी की क्रोनोलॉजी समझिए
पहले मुलायम परिवार के करीबी और मुलायम सिंह के सुरक्षा अधिकारी रहे एसपी सिंह बघेल को उनके ही खिलाफ मैदान में उतारा है.बघेल लंबे समय तक समाजवादी पार्टी से सांसद भी रहे हैं. इसके बाद एसपी सिंह बघेल का आत्मविश्वास से ये कहना कि,कन्नौज की तरह मैनपुरी में भी अखिलेश का किला दरकेगा. कही ना कही अखिलेश की डगर को मुश्किल कर रही है.
सहानुभूति के वोट बैंक का इजाफा होगा
करहल में समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं पर बघेल के काफिले पर हमले का आरोप भी एक फैक्टर बन सकता है. जानकार मान रहे हैं कि,हमले के बाद बघेल के पक्ष में सहानुभूति के वोट बैंक का इजाफा होगा.पहले बड़े नेताओं के खिलाफ दूसरे दलों का कमजोर प्रत्याशी देने का रिवाज था, लेकिन बीजेपी ने चक्रव्यूह के तहत बड़े और मजबूत प्रत्याशी को अखिलेश के खिलाफ उतारा है क्योंकि बघेल समेत गैरयादव ओबीसी वोट बैंक करहल में काफी तादाद में हैं.
बीजेपी दावा कर रही है कि, सेफ सीट की तलाश में दर दर भटकने वाले अखिलेश को हम घर में ही हराएंगे. हालांकि, अब 10 मार्च तक इंतजार करना होगा कि अखिलेश बीजेपी के चक्रव्यूह को आसानी से भेद पाएंगे या उन्हें घर में भी जीत के लिए पसीना बहाना पड़ेगा.
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