उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद में जिला प्रशासन के अफसरों ने एक बेसहारा पेंशन धारी बुजुर्ग विधवा को सरकारी कागजों में मृत दिखाकर उसकी रोजी-रोटी ही बंद कर दी.
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नीरज त्यागी/मुजफ्फरनगर. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar district) में जिला प्रशासन की घोर लापरवाही सामने आई है। मुजफ्फरनगर के जिला प्रशासन (Muzaffarnagar district administration) ने एक बेसहारा पेंशन धारी बुजुर्ग विधवा (widow pension) को सरकारी कागजों में मृत दिखाकर उसकी रोजी-रोटी का सहारा बनी विधवा पेंशन को ही बंद कर दिया। पीड़ित महिला जब सामने आई तो सरकारी सिस्टम की पोल खुल गई । आनन-फानन में जिला प्रशासन ने इस मामले का संज्ञान लेकर आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
बूंदी नाम की यह पीड़िता विधवा होने के साथ बेऔलाद व बेघर भी है. खतौली के मिट्ठूलाल मोहल्ले में पड़ोसियों की मदद और वृद्धावस्था पेंशन के सहारे बूंदी जिंदगी गुजार रही थी। बूंदी को सरकारी नुमाइंदों ने पेंशन के वार्षिक भौतिक सत्यापन में मृत दर्शाकर पेंशन रोक दी। फाइलों में दफनाई गई बूंदी खुद दफ्तरों के चक्कर काटकर जिंदा होने का सबूत देती रही, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। एसडीएम तक मामला पहुंचा तो जांच में बूंदी जिंदा निकली। समाजसेवी जमीन अंसारी के साथ गुरुवार को बुजुर्ग बूंदी (85) एसडीएम खतौली जीत सिंह राय के सामने हाजिर हुई और खुद को जिंदा बताते हुए पीड़ा सुनाई।
बुजुर्ग की आपबीती सुनकर उपजिलाधिकारी भी हैरान रह गए। त्वरित कार्रवाई करते हुए लेखपाल अजेंद्र सिंह राठी को बुलाकर मामले की जांच के आदेश दिए। लेखपाल ने महिला के नाम से जारी आधार कार्ड देखा। भौतिक सत्यापन का वह कागज भी देखा, जिसमें महिला को मृत दर्शाया गया था। करीब एक घंटे की जांच के बाद माना गया कि तहसील पहुंची बुजुर्ग महिला बूंदी ही है और वह जिंदा है। लेखपाल ने रिपोर्ट एसडीएम को भेजी तो फाइलों में बुजुर्ग महिला फिर से जिंदा हो गई। वहीं इस बारे में जब मुख्य विकास अधिकारी आलोक कुमार यादव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह मामला अभी उनके संज्ञान में नहीं आया है अगर ऐसा है तो जांच कर आरोपी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। आपको बता दें कि इससे पहले भी जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंचे लोगों ने खुद को मृत घोषित करने का प्रशासनिक अधिकारियों पर आरोप लगाया था।
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