कभी शराब दुकान के सामने बेचता था 'चखना', बाद में Liquor King बन बदलवा दी UP की आबकारी नीति
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कभी शराब दुकान के सामने बेचता था 'चखना', बाद में Liquor King बन बदलवा दी UP की आबकारी नीति

कहा तो यह तक जाता है कि मायावती की सरकार में साल 2009 में पॉन्टी चढ्डा के ग्रुप के इशारे पर प्रदेश की आबकारी नीति तक बदल दी गई थी. 

फाइल फोटो

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लिकर किंग के नाम से मशहूर गुरुदीप सिंह चड्ढा उर्फ पॉन्टी चड्ढा (Ponty Chaddha) का जन्म मुरादाबाद के एक गरीब परिवार में हुआ था. अपने कैरियर की शुरुआत में पॉन्टी एक शराब की दुकान के सामने अपने पिता के साथ नमकीन बेचा करता था. बाद में उसके पिता को एक शराब की दुकान का लाइसेंस मिल गया और यहीं से पॉन्टी के दिन बदलने शुरू हो गए.

कहा जाता है कि इंसान का नसीब उसके हाथों की लकीरों में होता है. लेकिन उसका तो एक हाथ ही नहीं था. दूसरे हाथ के पंजे की लकीरें भी आधी-अधूरी थीं. बावजूद इसके वो लिकर किंग के नाम से मशहूर हुआ. कुछ ही साल में ही वह हजारों करोड़ के टर्न ओवर वाले ग्रुप का मालिक बन गया.यूपी और पंजाब में शराब बिक्री की पॉलिसी पॉन्टी पॉलिसी के नाम से चर्चित हो गई. आज पॉन्टी को मरे लगभग 9 साल हो चुके हैं, लेकिन यूपी में आज भी शराब बाजार पर चढ्ढा परिवार का कब्जा है.

बचपन में ही खो दिया हाथ 
पॉन्टी चढ्ढा के बचपन के दोस्त बताते हैं कि एक बार मुरादाबाद के आदर्श नगर वाले पुराने घर में पॉन्टी और उनके चाचा का लड़का टीटू छत पर पतंग उड़ा रहे थे. उस वक्त उनकी उम्र करीब 10 से 11 वर्ष रही होगी. इसी दौरान पतंग छत के ठीक बराबर से जा रही हाईटेंशन लाइन में उलझ गई. पॉन्टी को कुछ नहीं सूझा तो उसने छत पर ही पड़े एक लोहे के तार से पतंग निकालने की कोशिश की. इसी कोशिश में शरीर में करंट फैल गया. बायां हाथ कोहनी से एकदम खत्म हो गया, वहीं दूसरे हाथ के पंजे से दो उंगली गायब हो गईं और हथेली में भी चोट आ गई. 

इन फैसलों के कारण चर्चाओं में आया 
उत्तर प्रदेश में हुकूमत सपा की रही हो या बसपा की, पोंटी कई बार खास फैसलों के कारण चर्चाओं में आया. वर्ष 2005 में मुलायम सरकार में इंटीग्रेटेड चाइल्ड प्रोजेक्ट का बड़ा ठेका हासिल करने पर पॉन्टी को काफी सुर्खियां मिलीं. इसे लेकर कई विपक्षी नेताओं ने सरकार पर उंगली भी उठाई थी. वर्ष 2007 में बसपा की सरकार आने पर पोंटी को सपा सरकार से अधिक मजबूती मिली. कहा तो यहां तक जाता है कि वर्ष 2009 में चढ्डा ग्रुप के इशारे पर ही यूपी की आबकारी नीति में बदलाव किया गया. यही नहीं बसपा शासन में ही राज्य की 21 चीनी मिलों में से 11 नीलामी के बाद पोंटी को मिलीं. 

इतने हजार करोड़ का है साम्राज्य 
पॉन्टी चड्ढा को समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का करीबी माना जाता था. लखनऊ में उसके वेब मल्टीपलेक्स का उद्घाटन भी सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने किया था. वहीं, प्रदेश में जब मायावती (Mayawati) की सरकार बनी थी तो पोंटी ने पाला बदल लिया और तत्कालीन मायावती सरकार में उसे कई रियल एस्टेट परियोजनाओं के अलावा प्रदेश में शराब के रिटेल कारोबार पर अकेले ही काबिज होने का मौका मिला. कहा तो यह तक जाता है कि मायावती की सरकार में साल 2009 में पॉन्टी चढ्डा के ग्रुप के इशारे पर प्रदेश की आबकारी नीति तक बदल दी गई थी. बसपा सरकार में पोंटी ने राज्य चीनी निगम की पांच चीनी मिलों को 276 करोड़ रुपये में खरीदा था. इन मिलों की बिक्री की जांच पूर्व अखिलेश सरकार ने लोकायुक्त को सौंपी थी. आज चड्ढा ग्रुप का पूरा साम्राज्य लगभग 6000 करोड़ से अधिक का आंका जाता है.

ऐसे हुई लिकर किंग की मौत 
पॉन्टी चड्ढा आज से 9 साल पहले 17 नवंबर 2012 की दोपहर में करीब 12:30 बजे सुखदेव सिंह नामधारी के साथ लैंडक्रूज़र गाड़ी से छतरपुर के 42 नंबर फार्महाउस के गेट नंबर तीन पर पहुंचा. उसके साथ सुरक्षाकर्मी भी थे. इस दौरान पॉन्टी के छोटे भाई हरदीप भी फार्महाउस पर अपने सुरक्षाकर्मियों के साथ आया. यहां संपत्ति बंटवारे को लेकर दोनों में कुछ कहासुनी हुई और देखते ही देखते दोनों तरफ से जमकर गोलीबारी शुरू हो गई. जिसमें पॉन्टी चड्ढा और उनके भाई हरदीप की मौत हो गई.

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