उत्तर प्रदेश में भी पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुट रखना है, पर कांग्रेस संगठन द्वारा इस जिम्मेदारी को निभाना मुश्किल साबित हुआ है.
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मयूर शुक्ला/लखनऊ: कांग्रेस का राजनीतिक संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. पार्टी एक राज्य में सुलझाने की कोशिश करती है, तो दूसरे प्रदेश में मुश्किल खड़ी हो जाती है. उत्तर प्रदेश में भी पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुट रखना है, पर कांग्रेस संगठन द्वारा इस जिम्मेदारी को निभाना मुश्किल साबित हुआ है. पार्टी में बुजुर्ग नेता जहां लगभग साइडलाइन हैं, वहीं एक के बाद एक युवा नेता कांग्रेस का हाथ छोड़ रहे हैं.
बीते 7 सालों में 222 सक्रिय नेताओं ने छोड़ दी पार्टी
साल 2014 से 2021 के बीच कांग्रेस के 222 सक्रिय नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है. ये नेता दूसरी पार्टी में शामिल होकर या तो चुनाव लड़े हैं या उन दलों ने कोई दूसरा पद देकर उनका मान बढ़ाया. ललितेशपति त्रिपाठी और कांग्रेस का कई पीढियों का साथ रहा है. चार पीढ़ियों में यह पहला मौका है, जब पंडित कमलापति त्रिपाठी परिवार के किसी सदस्य ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया है.
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इन नेताओं ने दूसरी पार्टियों में तलाशी जगह
चुनाव से ठीक पहले पार्टी छोड़ने वाले ललितेशपति त्रिपाठी अकेले नहीं है, उनसे पहले जितिन प्रसाद भी ऐसा चुके हैं. संजय सिंह, अन्नू टंडन, चौधरी बिजेंद्र सिंह और सलीम शेरवानी भी दूसरी पार्टियों में अपने लिए जगह तलाश कर चुके हैं. कांग्रेस यूपी में अलग-थलग होती जा रही है, जो कभी उसका गढ़ माना जाता था.
कांग्रेस के कई दिग्गज पहले ही छोड़ चुके हैं हाथ का साथ
यूपीसीसी की पूर्व अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले दक्षिणपंथी बनने वालों में सबसे पहली नेता थीं. कांग्रेस एमएलसी दिनेश सिंह ने 2018 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए. 2019 में, पूर्व सांसद रत्ना सिंह और संजय सिंह भाजपा में चले गए, उसके बाद पूर्व विधायक अमीता सिंह का स्थान आया. पूर्व विधायक जगदंबिका पाल ने 2014 में बीजेपी को चुना था.
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भाजपा का कहना है कि कांग्रेस पार्टी से सभी का मोहभंग हो चुका है ऐसे में पार्टी के अस्तित्व के कुछ ही दिन बचे हैं. कांग्रेस पार्टी में सांसद रह चुके कद्दावर नेता राजाराम पाल ने दो दिन पहले कांग्रेस का दामन छोड़ अब समाजवादी पार्टी का झंडा उठा लिया.
कांग्रेस की हालत ऐसी हो गई है कि यहां नेताओं को अपना भविष्य अंधकार में दिख रहा है. यही वजह है कि पिछले 7 सालों में कांग्रेस पार्टी के सबसे ज्यादा नेता अपनी पार्टी छोड़कर किसी और दल में शामिल हो गए. 7 सालों में जिन नेताओं ने पार्टी छोड़ी है उसमें सांसद, पूर्व सांसद और पूर्व विधायकों की संख्या सबसे ज्यादा है. ये नेता या तो चुनाव हारने के बाद पाला बदल लिए या फिर चुनाव से पहले हार के डर से हाथ का साथ छोड़कर दूसरे दल का दामन थाम लिए हैं.
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