क्या है ESMA जिससे थर्राते हैं सरकारी कर्मचारी, UP में छह माह हड़ताल पर बैन से फिर सुर्खियों में कानून
What is ESMA : बिजली कर्मचारियों के हड़ताल के दौरान सरकार की ओर से एस्मा (ESMA) की कार्रवाई की बात कही गई. तो आइये जानते हैं सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल होते ही क्यों याद आता है एस्मा, क्यों विवादों में रहा है 56 साल पुराना यह कानून.
What is ESMA : सरकारी कर्मचारियों के आंदोलन के समय सरकार को एस्मा (ESMA) की याद आती है. इस कानून के तहत सरकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई की बात कही जाती है. ऐसे में सरकारी कर्मचारी इस कानून के डर की वजह से कई बार आंदोलन खत्म कर देते हैं.यूपी में लोकसभा चुनाव के पहले सरकार ने फरवरी में छह महीने हड़ताल पर रोक के लिए एस्मा कानून लागू कर दिया है. आइये जानते हैं सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल होते ही क्यों याद आता है एस्मा, क्यों विवादों में रहा है 56 साल पुराना यह कानून.
जानें क्या है एस्मा (ESMA)
एस्मा (ESMA) यानी एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट (Essential Services Management Act) . इसे हिंदी में अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून के नाम से भी जाना जाता है. यह कानून तब इस्तेमाल किया जाता है जब कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं. इस कानून को हड़ताल को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. खास बात यह है कि इस कानून ज्यादा से ज्यादा 6 महीने के लिए लगाया जा सकता है. हालांकि, इस कानून को लगाने से पहले सरकार द्वारा कर्मचारियों को एक नोटिफिकेशन देना आवश्यक होता है.
6 महीने की सजा भी हो सकती है
बता दें कि यह कानून किसी भी सरकार द्वारा तब लगाया जाता है जब उनके पास हड़ताल रोकने के सारे रस्ते बंद हो जाते हैं. साथ ही हड़ताल का प्रतिकूल प्रभाव आवश्यक सेवाओं पर पड़ने लगता है. यह कानून जिस सर्विस (सेवा) पर लगाया जाता है. उससे जुड़े कर्मचारी फिर हड़ताल नहीं कर सकते हैं. वहीं, अगर कोई कर्मचारी इस कानून का पालन नहीं करता है तो उसे 6 महीने की जेल की सजा का प्रावधान है.
बिना वारंट के गिरफ्तारी का प्रावधान
राज्य सरकार की तरफ से लगाए गए एस्मा एक्ट के तहत सरकारी कर्मचारियों को किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन और हड़ताल करने के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाता है. अगर एस्मा एक्ट लागू होने के बाद कर्मचारी हड़ताल या प्रदर्शन करते हैं और उससे राज्य सरकार के कामकाज प्रभावित होते हैं तो ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा सकती है. इसके अलावा बिना वारंट के उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है.
यूपी में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान इस कानून का प्रयोग किया गया तो यह फिर से सुर्खियों में आ गया है. एस्मा को लेकर यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार हो या अन्य राज्यों की सरकारें, वो स्थानीय स्थितियों को अनुसार इसे अमल में लाती हैं.
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