काम की खबर: दवा की शीशी पर ढक्‍कन से पहले क्‍यों लगाई जाती है रूई? यहां जानें इसकी वजह
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काम की खबर: दवा की शीशी पर ढक्‍कन से पहले क्‍यों लगाई जाती है रूई? यहां जानें इसकी वजह

अक्सर आपने देखा होगा कि जिन ट्रांसपेरेंट शीशियों में मरीजों को देने के लिए टेबलेट्स होती हैं उन शीशियों में ढक्‍कन लगाने से पहले रूई रखी जाती है. क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है.

काम की खबर: दवा की शीशी पर ढक्‍कन से पहले क्‍यों लगाई जाती है रूई? यहां जानें इसकी वजह

नई दिल्ली: आपने यह जरूर देखा होगा कि जिन ट्रांसपेरेंट शीशियों में मरीजों को देने के लिए टेबलेट्स होती हैं उन शीशियों में ढक्‍कन लगाने से पहले रूई रखी जाती है. क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि ऐसा क्‍यों किया जाता है. दरअसल, ऐसा करने की भी एक खास वजह है और ज्यादातर होम्‍योपैथ‍िक दवाओं के मामले में ऐसा देखने को मिलता है. डॉक्‍टर शीशी में दवा डालने के बाद उसमें थोड़ी रूई डालते हैं और इसके बाद ही ढक्‍कन को बंद करते हैं. आइये आज हम आपको बताते हैं कि ऐसा क्‍यों किया जाता है.

कब हुई इसकी शुरुआत?
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा करने की शुरुआत 1900 में की गई थी. सबसे पहले फार्मा कंपनी 'बायर' ने ऐसा करना शुरू किया था. कंपनी जिन दवाओं की शीशियों की डि‍लीवरी किया करती थी, उनमें रूई को गेंद के आकार का बनाकर शीशी में रखती थी. उस समय के दौरान दवा की सबसे बड़ी कंपनी होने के कारण इसको देखते हुए दूसरी कंपनियों ने भी इस ट्रेंड को फॉलो करना शुरू कर दिया.

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क्या थी ऐसा करने की वजह?
ऐसा करने की भी एक खास वजह थी. कंपनी के अनुसार, अगर दवाओं से भरी शीशी में रूई लगाई जाए तो इनके टूटने की संभावना कम हो जाएगी. इसी के साथ डोज की मात्रा भी कम नहीं होगी. यह समान मात्रा में बनी रहेगी. वहीं अगर कोई कस्‍टमर इस शीशी को खोलता है तो उसे परेशान भी नहीं होना पड़ेगा. इन्हीं कारणों की वजह से ऐसा किया गया.

इसी दौरान 1980 में एक बड़ा बदलाव आया. जब टेबलेट के बाहरी हिस्‍से पर एक ऐसी लेयर लगाई जाने लगी, जिससे इन्‍हें शीशी में रखने पर ये टूटे ना. हालांकि, दुनिया की कई बड़ी फार्मा कंपनियों ने 1999 तक आते-आते ऐसा करना बंद कर दिया. 

मरीज भी रखते हैं दवा का खास ध्यान 
लंबे समय से ऐसा देखते हुए मरीजों को भी दवा की खास देखभाल करने की आदत पड़ गई थी. जिस कारण मरीज खुद से भी यह काम करने लगे थे. यही कारण था कि कई कंपनियों ने शीशी में रूई रखने का चलन काफी लंबे समय बाद फिर से शुरू किया, जो कि खासतौर पर होम्‍योपैथ‍िक दवाओं के मामले में आज भी किया जाता है.

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