उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कहा है कि अगर अब केंद्र राष्ट्रपति शासन लागू करने का अपना आदेश वापस लेता है तथा किसी और को सरकार बनाने की अनुमति देता है तो यह न्याय का उपहास होगा। उच्च न्यायालय ने यह तीखी टिप्पणी तब की जब सरकार के वकील इस मामले में फैसला सुनाए जाने तक वर्तमान स्थिति बनाए रखने के संबंध में एक हलफनामा देने में नाकाम रहे।
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देहरादून: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कहा है कि अगर अब केंद्र राष्ट्रपति शासन लागू करने का अपना आदेश वापस लेता है तथा किसी और को सरकार बनाने की अनुमति देता है तो यह न्याय का उपहास होगा। उच्च न्यायालय ने यह तीखी टिप्पणी तब की जब सरकार के वकील इस मामले में फैसला सुनाए जाने तक वर्तमान स्थिति बनाए रखने के संबंध में एक हलफनामा देने में नाकाम रहे।
लगातार चौथे दिन सुनवाई जारी रखते हुए अदालत ने केंद्र को यह भी कहा कि वह अपदस्थ मुख्यमंत्री हरीश रावत की राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने को चुनौती देने तथा सदन में शक्ति परीक्षण सुनिश्चित करने की मांग कर रही याचिका पर विचार करने की अनुमति दे सकती है।
मुख्य न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति वी के बिष्ट की एक पीठ ने कहा ‘क्या हमें स्थगन के लिए सात अप्रैल को दिए गए उनके आवेदन पर विचार करना चाहिए ? उम्मीद की जाती है कि फैसला सुनाए जाते तक केंद्र सरकार (अनुच्छेद) 356 को वापस नहीं लेगी। अगर आप 356 को वापस लेते हैं तथा किसी और को सरकार बनाने के लिए कहते हैं तो यह कुछ और नहीं बल्कि न्याय का उपहास होगा।’