कुलदीप नेगी/देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा में हुई भर्तियों का विवाद अब तूल पकड़ चुका है. इन भर्तियों की जांच के संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा था. इसके बाद तय माना जा रहा है कि इस अनियमितता की जांच होगी. विपक्ष भी लगातार मांग कर रहा है कि भर्तियां निरस्त होनी चाहिए. फिलहाल, गेंद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी के पाले में है. इसी के साथ ही राज्य के लाखों बेरोजगारों की निगाहें विधानसभा अध्यक्ष के एक्शन पर टिकी हुई हैं.


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क्या विधानसभा में हुई तदर्थ नियुक्तियां रद्द होंगी?
इन दिनों उत्तराखंड के हर बेरोजगार युवा के दिमाग में यह सवाल घूम रहा है कि आखिर उत्तराखंड विधानसभा की भर्तियों का होगा क्या. चाहे बात पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के कार्यकाल की करें या पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल की, दोनों के कार्यकाल में हुई भर्तियों को लेकर सवाल उठे हैं. इन पर परिवारवाद, चहेतावाद, भाई-भतीजावाद के आरोप लगे हैं.


वहीं, रिश्तेदारों से लेकर परिजनों व करीबियों को रेवड़ियां बांटने के आरोप लगे हैं. इसमें कांग्रेस और भाजपा नेताओं, यहां तक की संघ के पदाधिकारियों के करीबी लोगों की भर्ती कराने के आरोप लग रहे हैं. दरअसल, विधानसभा को राजनीति का मंदिर माना जाता है, वहां भर्तियों पर उठ रहे सवाल, खुद अपने आप में बड़े सवाल हैं. 


माना जा रहा विधानसभा में हुई तदर्थ भर्तियां होंगी रद्द
ऐसे में अब सबकी निगाहें मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी के एक्शन पर लगी हैं. वह खुद भी एक ईमानदार छवि रखती हैं और उत्तराखंड में नजीर पेश करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं. अब देखना है कि वह क्या निर्णय लेती हैं. हालांकि, ऐसा तय माना जा रहा है कि विधानसभा में हुई तदर्थ भर्तियां रद्द होंगी.


उम्मीद जताई जा रही है कि विधानसभा अध्यक्ष नजीर पेश करेंगी. जो आने वाले भविष्य के लिए भी एक मानक बनेगा. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के इस फैसले का सराहना और स्वागत करते नजर आ रहे हैं. इसी के साथ ही उनका कहना है, "ऋतु खण्डूड़ी स्वच्छ ईमानदार छवि की एक विदुषी महिला हैं, अब निर्णय उनको करना है."


मुख्यमंत्री के पत्र का विपक्ष ने किया स्वागत 
आपको बता दें कि विधानसभा भर्तियों की जांच को लेकर मुख्यमंत्री के पत्र का विपक्ष ने भी स्वागत किया है, लेकिन कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन मथुरादत्त जोशी का कहना है, "विधानसभा में हुई यह भर्तियां निरस्त होनी चाहिए. पारदर्शी तरीके से आयोग के जरिए भर्तियां करवानी चाहिए. आज सवाल लाखों बेरोजगार युवाओं के भविष्य के साथ ही उत्तराखंड राज्य की साफ-सुथरी छवि का भी है. वहीं, मथुरादत्त जोशी ने पूर्व विधानसभा अध्यक्षों के कार्यकाल में हुई नियुक्तियों को लेकर भी सवाल उठाए हैं.


उन्होंने कहा कि इससे राज्य भी शर्मसार हुआ है. अब तो तय विधानसभा को ही करना है. उन्हें उत्तराखंड के लाखों बेरोजगार युवाओं को क्या संदेश देना है. खुद मुख्यमंत्री  ने इस दिशा में कदम आगे बढ़ा दिए हैं तो विधानसभा अध्यक्ष भी एक नजीर जरूर पेश करेंगी.


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