दरअसल, कांग्रेस में शुरू हुई ये नाराजगी यूं ही नहीं है. इसके सियासी मायने कुछ और ही हैं. असल लड़ाई तो हरीश रावत बनाम प्रीतम सिंह की है. यशपाल एवं संजीव आर्य की घर वापसी में मुख्य भूमिका प्रीतम सिंह की रही है...
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देहरादून: 2017 के विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक हार का दंश झेलने वाली कांग्रेस में आपसी रार का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. हाल ही में यशपाल आर्य और उनके बेटे कांग्रेस में वापस क्या आए, नाराजगी का दौर एक बार फिर से शुरू हो गया है. नाराज होने वाली सबसे पहली नेता हैं कांग्रेस प्रदेश महिला अध्यक्ष सरिता आर्य, जिनका कहना है कि अगर संजीव आर्य नैनीताल से चुनाव लड़ेंगे, तो उनका क्या होगा?
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'अभी पार्टी में उठापटक की सिर्फ शुरुआत है'
यशपाल और उनके बेटे के कांग्रेस में आने से पार्टी को कितना फायदा होगा, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन हरीश रावत की बेहद करीबी सरिता आर्य की नाराजगी के कई मायने निकाले जा रहे हैं. हालांकि, कांग्रेस इसका हल निकाल लेने की बात कर रही है. इधर, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष डॉक्टर देवेंद्र भसीन की मानें तो कांग्रेस में उठा-पटक की यह सिर्फ शुरुआत है. आने वाला समय विपक्षी दल के लिए और भी चुनौती भरा होगा. सरिता आर्य कांग्रेस की पुरानी नेता हैं. उनकी नाराजगी को टाला नहीं जा सकता.
'मैं बड़ा या तुम' की है लड़ाई
दरअसल, कांग्रेस में शुरू हुई ये नाराजगी यूं ही नहीं है. इसके सियासी मायने कुछ और ही हैं. असल लड़ाई तो हरीश रावत बनाम प्रीतम सिंह की है. यशपाल एवं संजीव आर्य की घर वापसी में मुख्य भूमिका प्रीतम सिंह की रही है. ऐसे में हरीश रावत गुट की बेचैनी लाजमी नजर आती है. क्योंकि कांग्रेस में असल लड़ाई 'मैं बड़ा या तुम' की है.
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