BHU में जल्द शुरू होगा देश का पहला हिंदू अध्ययन कोर्स, विदेशी छात्र भी ले सकेंगे एडमिशन
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BHU में जल्द शुरू होगा देश का पहला हिंदू अध्ययन कोर्स, विदेशी छात्र भी ले सकेंगे एडमिशन

बीएचयू में भारत अध्ययन केंद्र के कॉर्डिनेटर और प्रोफेसर सदाशिव द्विवेदी ने बताया इस कोर्स के जरिए भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म को साइंटिफिक नजरिए से समझने में मदद मिलेगी.

Banaras Hindu University (फाइल फोटो)

विशांत श्रीवास्तव/वाराणसी: बीएचयू में देश का पहला हिंदू अध्ययन कोर्स शुरू किया गया, जहां पर भारतीय नहीं विदेशी छात्र भी एडमिशन ले सकेंगे. यह कोर्स 2 साल के लिए होगा. फिलहाल इस कोर्स में 40 सीटें हैं. ऑनलाइन फॉर्म 7 सितंबर तक भरा जाएगा और एंट्रेंस एग्जाम 3 अक्टूबर तक होगा. 

बीएचयू में भारत अध्ययन केंद्र के कॉर्डिनेटर और प्रोफेसर सदाशिव द्विवेदी ने बताया इस कोर्स के जरिए भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म को साइंटिफिक नजरिए से समझने में मदद मिलेगी. यह पाठ्यक्रम मास्टर स्तर पर होगा. मतलब किसी को इस कोर्स को करने के लिए स्नातक होना जरूरी है. जिसमें 4 सेमेस्टर होंगे और 16 पाठ्यक्रम प्रस्तावित की गई हैं. 9 पाठ्यक्रम जिसमें अनिवार्य हैं. सात वैकल्पिक पाठ्यक्रम होंगे. 

यह होगा उद्देश्य
स्कूल का मुख्य उद्देश्य भारतीय परंपराओं में भारतीय पद्धतियों में एक तत्व बनाना और विश्व पटल पर इसे समझाना है. कोर्स में भारत के सिद्धांत, भारत के विचार और इन सिद्धांतों का किस तरीके से लोक कल्याण का उद्देश्य बताया जाएगा. सभी चीजें रामायण और महाभारत में दिखाई देती है और रामायण महाभारत में भारत जीवन दर्शन दिखाई देता है. कैसे इन दिनों में अपने जीवन में सिद्धांतों को उतारा गया. इस पर विस्तृत रूप से प्रोफेसर द्विवेदी ने बताया कि भविष्य में अन्य सेंट्रल यूनिवर्सिटी में भी यह चलाया जाएगा. लेकिन, सबसे पहले काशी हिंदू विश्वविद्यालय में शुरू किया जा रहा है.

सनातन धर्म के जरिए होगी मानवात की भलाई 
इस कोर्स को पढ़ाने वाले जुगल किशोर मिश्र ने बताया कि ऋग्वेद बहुत प्राचीन है और उसका प्रभाव विश्व की सभी संस्कृतियों पर पड़ना स्वाभाविक है. जब अन्य संस्कृतियों का उदय हुआ और ऐतिहासिक और तुलनात्मक अध्ययन सामने आए. जिसके बाद दूसरी संस्कृतियों ने भारतीय संस्कृति पर आक्षेप करना शुरू कर दिया. इसलिए यह बहुत जरूरी हो गया है कि हम हिंदू पाठ्यक्रम की शुरुआत करें. हमारे चिंतन किसी स्थान और काल के लिए नहीं है. यह पूरे विश्व के लिए हैं. हमारा चिंतन केवल देश विदेश तक ही सीमित नहीं है. मानवता के कल्याण के लिए है. इसलिए हमारा दायित्व यह भी है कि सनातन धर्म के जरिए मानवता की भलाई की जाए.

वही अगर कोर्स में आवेदन करने वाले छात्रों की बात की जाए तो देश के कोने कोने से विभिन्न वर्ग के लोग इसमें आवेदन कर रहे हैं. 22 वर्ष से लेकर 45 वर्ष के छात्र भी इस कोर्स में अपनी जिज्ञासा दिखा रहे हैं. युवा छात्रों का कहना है कि पश्चिम की सभ्यता ने हमारी संस्कृति और धर्म पर कब्जा कर लिया है और आने वाली पीढ़ी अपने मूल धर्म से बहुत दूर जा रही है. वर्तमान पीढ़ी को कोई रुचि नहीं रह गई है.

'हम ही अपने धर्म और सभ्यता के बारे में नहीं जानते' 
छात्रों का कहना है कि हमारे मंत्र इतने प्रभावी हैं. लेकिन, वह युवा तक नहीं पहुंच पाए. जिसके कारण उन्हें अपने मंत्र भी नहीं पता है. विकास करने के लिए पश्चिम सभ्यता ठीक है. इतने सालों में हिंदू धर्म पर कोई शोध नहीं किया गया. छात्र-छात्राओं ने बताया कि हम रियल स्पिरिचुअलिटी को जानना चाहते हैं और उसके लिए आपको हिंदू धर्म के ग्रंथ से ही जाना पड़ेगा. छात्रों ने बताया कि विदेशी हमारी संस्कृति के बारे में जान रहे हैं लेकिन हमें ही अपने धर्म और सभ्यता के बारे में नहीं पता है.

भ्रम फैलाने वालों के लिए जवाब है यह कोर्स 
शताब्दी फेलो अनूप पति ने बताया एक तरफ यह भारत की एजुकेशन मांग को पूरा कर रहा है. वहीं दूसरी ओर भारत की सॉफ्ट पावर को भी बढ़ाएगा. वैश्विक हिंदुत्व की स्थापित करने के लिए यह कोर्स बहुत महत्वपूर्ण है. इस पाठ्यक्रम में सबसे पहले संस्कृत भाषा सिखाई जाएगी. उसके बाद तत्व मीमांसा के बारे में छात्रों को बताया जाएगा. हिंदू धर्म में कोई भी सिद्धांत कोई भी मान्यता किसी के भी कहने से स्थापित नहीं किए गए हैं. वह लंबे वाद और विमर्श के बाद स्थापित किया गया है. किन सिद्धांतों के नियम बनाए गए हैं वह भी पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाएगा. ऐसी क्या बात है, हमारी क्या मूल में है कि हमने पूरे विश्व को अपना परिवार माना यह इस कोर्स में बताया जाएगा.

अब तक के पाठ्यक्रम इतने व्यापक तरीके से नहीं बनाए गए थे लिए इस पाठ्यक्रम की जरूरत पड़ी. वहीं जाकिर नायक जैसे भगोड़े जो हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करते हैं. उसके जवाब में उन्होंने कहा कि जाकिर नायक और पश्चिम देश के लोग बहुत सारी भ्रम फैलाते हैं. उनको मुंहतोड़ जवाब देने के लिए यह पाठ्यक्रम है.

योगा की तरह हिंदू धर्म सिखाने वालों की होगी डिमांड: वीके शुक्ला
बीएचयू के कुलपति वीके शुक्ला ने बताया पाश्चात्य देशों में क्रिश्चियन धर्म के लिए कोर्स चलता है. इस्लामिक देशों में इस्लाम को लेकर चलता है. लेकिन, हम हमारे भारत देश में हिंदू स्टडी पर कोई कोर्स नहीं था. इसलिए हमारी सरकार शिक्षा मंत्रालय के प्रयासों से 2 साल का कोर्स शुरू होगा. 16 कोर्स का पूरा कोर्स होगा इसमें सभी फील्ड के बच्चे किसी भी स्ट्रीम के व्यक्ति मिशन ले सकते हैं. जिस तरीके से भारत का नाम दुनिया में बढ़ रहा है. अभी जरूरी हो गया है कि लोग हिंदू विषम को हिंदुत्व को अच्छी तरीके से जाने. इस कोर्स को फिलासफी डिपार्टमेंट, संस्कृत आर्कियोलॉजी, वैदिक वेद विज्ञान, भारत अध्ययन केंद्र स्कूल को चलाएंगे.

इस कोर्स के बाद स्टूडेंट्स को नौकरी मिलने की भी काफी संभावनाएं हैं. जैसे यह कोर्स शुरू होगा हमें टीचर्स की जरूरत होगी. जिससे एंप्लॉयमेंट जनरेट होगा पाश्चात्य देश भी हिंदू धर्म के बारे में अपने यहां सिखा रहे हैं. इसलिए स्कूल्स के जरिए हम कई टीचर भी तैयार करेंगे. जिन्हें विदेशों में भी नौकरी मिलेगी. जिस तरीके से योगा डे मनाया गया था. उसके बाद विदेशों में योगा टीचर की डिमांड बढ़ी. उसी तरीके से धीरे-धीरे हिंदू धर्म को सीखने वालों की डिमांड बढ़ेगी.

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