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यूपी में है एशिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सटी, 103 साल पहले ब्रिटेन के प्रिंस ने किया था उद्घाटन

उत्‍तर प्रदेश में कई विश्‍वविद्यालय हैं. लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है कि एशिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी यूपी में ही है. इस यूनिवर्सिटी का इतिहास 100 साल से ज्यादा पुराना है. 13 दिसंबर को प्रिंस ऑफ वेल्स ने इसका उद्घाटन किया था.

13 दिसंबर उद्घाटन

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13 दिसंबर उद्घाटन

बीएचयू यानी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की शुरुआत 4 फ़रवरी, 1916 को हुई थी. इस दिन महात्मा गांधी ने बीएचयू के उद्घाटन समारोह में भाषण दिया था. वहीं, इसका औपचारिक उद्घाटन 13 दिसंबर, 1921 को प्रिंस ऑफ़ वेल्स ने किया था.

 

ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी से बड़ी

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ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी से बड़ी

यूपी की सबसे बड़ी यून‍िवर्सिटी के आगे अमेरिका की ऑक्‍सफोर्ड यून‍िवर्सिटी भी छोटी पड़ जाती है. इस विश्वविद्यालय के अंग्रेजी और हिंदी में दो अलग-अलग नाम भी हैं. 

 

1916 में स्‍थापना हुई?

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1916 में स्‍थापना हुई?

बनारस हिन्‍दू यून‍िवर्सिटी की स्‍थापना साल 1916 में पंडित मदन मोहन मालवीय ने की थी. यहां की इमारतें इंडो गोथिक वास्तुकला का बेहतरीन नमूना पेश करती हैं. 

 

13 सौ एकड़ में फैली

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13 सौ एकड़ में फैली

बनारस हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय करीब 1300 एकड़ यानी 5.3 किलोमीटर में फैला है. हर साल यहां से लगभग 30 हजार से ज्‍यादा बच्‍चे पास होकर निकलते हैं.  

हॉस्‍टल के कमरे भी बड़े

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हॉस्‍टल के कमरे भी बड़े

यूपी के इस विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के लिए बड़ा हॉस्टल भी बनाया गया है, जो और यूनिवर्सिटी के मुकाबले काफी बड़ा है. 

 

कैसे मिली यूनिवर्सिटी की जमीन

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कैसे मिली यूनिवर्सिटी की जमीन

बनारस यूनिवर्सिटी की स्‍थापना का श्रेय पंडित मदन मोहन मालवीय को जाता है. उन्‍हें विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए यह जगह दान में मिली थी. 

पैदल नापा

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पैदल नापा

कहा जाता है कि बनारस के काशी नरेश ने मदन मोहन को कहा था कि 1 दिन में आप जितना पैदल चलकर नाप लेंगे उतनी जगह में विश्वविद्यालय के नाम कर दी जाएगी. 

 

कैसे मिली जगह

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कैसे मिली जगह

इसके बाद मदन मोहन मालवीय ने दिन भर पैदल चले. इसमें 11 गांव, 70 हजार पेड़, 100 पक्के कुएं, 20 कच्चे कुएं, 860 कच्चे घर, 40 पक्के मकान वाली जगह बीएचयू को मिली. 

 

मंदिर भी

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मंदिर भी

यही वजह है कि बनारस विश्‍वविद्यालय का परिसर इतना बड़ा हो गया. वहीं, बनारस के काशी नरेश ने बीएचयू के निर्माण के लिए एक मंदिर और एक धर्मशाला भी दान की थी.