देश के पहले अर्बन ट्रांसपोर्ट रोपवे का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. पहला सेक्शन 3.8 किलोमीटर का होगा जिसमें 4 स्टेशन बन रहे हैं. इस अर्बन ट्रांसपोर्ट रोपवे का निर्माण अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों के अनुरूप किया जा रहा है.
जैसा कि पहले बताया गया था कि जनता के लिए यह रोपवे अगस्त 2025 तक खुल जाए तो उसकी उम्मीद भी नजर आने लगी है, क्योंकि पहले सेक्शन के लिए तीन रोपवे स्टेशनों के निर्माण का सिविल वर्क पूरा हो चुका है.
पहले चरण के पहले सेक्शन में कैंट स्टेशन, विद्यापीठ और रथयात्रा रोपवे स्टेशन का निर्माण कार्य बस अंतिम चरण में है. स्टेशनों का इंटीरियर और यहां लगाए जा रहे उपकरणों का काम विशेषज्ञों की निगरानी में किया जा रहा है.
रोप पुलिंग का काम ऑस्ट्रिया की विशेषज्ञ कंपनी 'रोप एक्सपर्ट'द्वारा किया जा रहा है. ट्रायल रन का काम इसी साल 30 जनवरी को शुरू हुआ था जो अप्रैल में सफलतापूर्वक पूरा भी हो चुका है. कैंट स्टेशन से गौदलिया चौराहे तक 5 स्टेशन और 29 टावर बनाए जाएंगे.
रोपवे संचालन के लिए तीन स्टेशनों पर सभी उपकरणों का लगभा 98 फीसद काम पूरा हो चुका है. जबकि कुल काम देखें तो यह अभी करीब 90 फीसद पूरा हुआ है. इसके साथ उपकरणों की टेस्टिंग का काम भी तकरीबन पूरी तरह से हो गया है.
बता दें कि देश के इस पहले अर्बन रोपवे की लंबाई 3.8 किमी है. इसमें कुल 4 स्टेशन होंगे.150 मीटर की ऊंचाई पर 150 ट्राली संचालित होंगी और यात्रा का समय 15 मिनट है. इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत 807 करोड़ रुपये बताई जा रही है.
एक केबल कार में 10 सीट हैं. एक घंटे में दोनों तरफ से 600 ट्रालियों का संचालन होगा.इस तरह एक अनुमान के मुताबिक 6000 यात्री सफर करेंगे.
कैंट स्टेशन पर छ लिफ्ट और 4 एस्कालेटर लगाए जा रहे हैं. यहां एक टिकट काउंटर और वेंडिग मशीन भी है ताकि भीड़ न लगे और यात्री स्वयं भी टिकट ले सकें.
विद्यापीठ स्टेशन पर चार लिफ्ट और चार एस्कालेटर हैं, यहां एक टिकट काउंटर और एक वेंडिंग मशीन की सुविधा दी जा रही है. जबकि रथयात्रा स्टेशन पर चार लिफ्ट और 5 एस्कालेटर हैं. यहां तीन टिकट काउंटर और 5 वेंडिंग मशीन लगेंगी.
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