आज ही मिला था काशी को 'वाराणसी' नाम, जानिए इससे जुड़ा दिलचस्प इतिहास
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आज ही मिला था काशी को 'वाराणसी' नाम, जानिए इससे जुड़ा दिलचस्प इतिहास

काशी से बनारस, बनारस से वाराणसी, काशी अब तक करीब 18 नाम से जानी जाती है.  इसका उल्लेख मत्स्य पुराण में भी है. पुराणों की मानें तो खुद विश्वेश्वर महादेव ने करीब पांच हजार साल पहले काशी की स्थापना की थी.

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वाराणसी: काशी, बनारस और वाराणसी..यह तीनों नाम एक ही शहर के हैं.  यहां स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक है. भगवान शिव की नगरी वाराणसी को दुनिया का सबसे प्राचीन शहर कहा जाता है. शायद इसलिए वास्तविक रूप से इस शहर की स्थापना कब हुई, इसका जवाब ढूंढने की कई बार कोशिशें हुईं लेकिन इतिहास के पन्ने भी कम पड़ गए. आधुनिक भारत के हिसाब से 24 मई को वाराणसी का 65वां जन्मदिन है.

  1. आज से 65 साल पहले वाराणसी पड़ा था काशी का नाम
  2. काशी अब तक करीब 18 नाम से जानी जाती है
  3. मतस्य पुराण में भी काशी का जिक्र

पूर्व सीएम संपूर्णानंद ने रखा था वाराणसी नाम
आधुनिक भारत में इसका नाम उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री डॉ. सम्पूर्णानंद के समय में रखा गया था. साल 1956 में आज ही के दिन यानी 24 मई को इस प्राचीन शहर का नाम सरकारी गजट के मुताबिक वाराणसी पड़ा था. यानी आज वाराणसी 65 बरस का हो गया. इसका विवरण साल 1965 में प्रकाशित उत्तर प्रदेश सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ डिस्ट्रिक्ट गजेटियर्स में दर्ज है. इससे पहले वाराणसी को बनारस या बेनारस के नाम से जाना जाता था.

वाराणसी के रहने वाले और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में अध्यापन कार्य से जुड़े डॉ. सम्पूर्णानंद ने जब बनारस को वाराणसी नाम दिया, तो उस दिन भारतीय पंचांग के अनुसार बैसाख पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा और चंद्रग्रहण का अद्भुत योग था. कई नामों के सफर भले ही इस सबसे पुरानी नगर ने किया हो लेकिन विश्व में एक बार नई काशी नई वाराणसी की पहचान यहां के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस नगरी को दिया है.

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पुराणों में भी है वाराणसी का जिक्र

वारणसी गंगा में मिलने वाली वरुणा और असि नदी के बीच बसा हुआ शहर है. वाराणसी नाम बहुत पुराना है, इसका उल्लेख मत्स्य पुराण में भी है. पुराणों की मानें तो खुद विश्वेश्वर महादेव ने करीब पांच हजार साल पहले काशी की स्थापना की थी. पुराणों में ही ये भी विवरण है कि मनु की 11वीं पीढ़ी के राजा काश के नाम पर काशी बसाई गई थी. इसके अन्य पौराणिक नामों में अविमुक्त नगर, कासिनगर, कासिपुर, रामनगर, जित्वरी आदि भी थे.

नगरी एक और नाम 18 
काशी से बनारस, बनारस से वाराणसी, अब तक करीब 18 नाम से काशी, जानी जाती है. इनमें बनारस,अविमुक्त, बेनारस, आनंदवन, रुद्रवास, महाश्मसान, जित्वरी, सुदर्शन, ब्रहमवर्धन, मालिनी, वाराणसी, फोलो-नाइ, पो लो निसेस, रामनगर, पुष्पावती, आनंदकानन, मोहम्मदाबाद प्रमुख हैं.

मतस्य पुराण में भी जिक्र
इस नगरी का जिक्र मत्स्य पुराण में भी किया गया है. हालांकि, सबका अपना मत है, लेकिन पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार 'वरुणा' और 'असि' नाम की नदियों के बीच में बसने के कारण ही इस नगर का नाम वाराणसी पड़ा. वाराणसी को पुरातन काल से अब तक कई नामों से बुलाया जाता है. बौद्ध और जैन धर्म का भी बड़ा केंद्र होने की वजह से इसके नाम उस दौर में सुदर्शनपुरी और पुष्‍पावती भी रहे हैं.

पुराणों और इतिहास की किताबों में काशी की महिमा का बखान
सरकारी गजेटियर के अलावा कई पुराणों और इतिहास की किताबों में काशी की महिमा का बखान मिलता है. शहर की बनावट और बसावट को देखें तो आज भी देश भर के अलग अलग राज्‍यों के लोग अब बनारस में रच बस चुके हैं और इसे मिनी इंडिया कहा जाए तो अतिश्‍योक्ति नहीं होगी.

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