जय वाजपेयी साल 2012-13 में प्रिंटिंग प्रेस में महज 4 हज़ार की नौकरी करता था और एक पान की दुकान में भी उसकी पार्टनरशिप थी. 2014-15 में विकास के टेरर के बल पर विवादित जमीनों की ख़रीद-फ़रोख़्त में जय वाजपेयी ने मोटा पैसा कमाया.
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कानपुर में बिकरू गांव के अंदर 8 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतारने वाले विकास दुबे के पास कई लग्जरी गाड़ियां मिलीं. उसकी चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा पुलिस निकाल रही है. इसी बीच कानपुर में उसके करीबी एक कारोबारी का भी पुलिस को पता चला है, जिसे हिरासत में लेकर पूछताछ चल रही है. आपको जानकर हैरानी होगी कि विकास दुबे का करीबी जय वाजपेयी अकूत संपत्ति का मालिक है.
7 साल में बन गया करोड़पति
सिर्फ़ सात साल में एक आम आदमी से करोड़पति बने जाए, तो उसके काम को लेकर पुलिस पूछताछ करेगी ही. हालांकि अब तक जय वाजपेयी से ऐसी पूछताछ नहीं हुई, लेकिन अब लखनऊ STF उसे पूछताछ लखनऊ लाई है. जय वाजपेयी साल 2012-13 में प्रिंटिंग प्रेस में महज 4 हज़ार की नौकरी करता था और एक पान की दुकान में भी उसकी पार्टनरशिप थी.
2013-14 में विकास दुबे से हुआ कनेक्शन
जय वाजपेयी का कनेक्शन विकास दुबे से साल 2013-14 में हुआ. उसके बाद जय वाजपेयी अपनी नौकरी से अलग जमीनों की खरीद-फरोख्त का धंधा करने लगा. 2014-15 में विकास के टेरर के बल पर विवादित जमीनों की ख़रीद-फ़रोख़्त में जय वाजपेयी ने मोटा पैसा कमाया.
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साल दर साल बढ़ती गई जय वाजपेयी की काली कमाई
2015-16 में नेहरू नगर- ब्रहमनगर, पी रोड जैसे बाजारों में जय वाजपेयी ने ब्याज पर रुपए बांटने का काम शुरू किया. 2016-17 में जय 15 से अधिक मकान और फ्लैट का मालिक बन गया. 2017-18 से अब तक जय वाजपेयी करोड़ों की चल-अचल सम्पत्ति बना चुका है. इसी बीच लखनऊ-कानपुर रोड पर एक बेनामी पेट्रोल पम्प भी उसने बनाया. 2018-19 में कानपुर के ब्रह्मनगर में एक दर्जन से ज्यादा मकान होने की खबर के बाद जय और उसके भाई रंजय की कई बार जांच हुई. शातिर जय वाजपेयी ने पुलिस से बचे रहने के लिए कई मकानों में दारोगा और सिपाही रखे हैं. पिछले साल से अब तक जय वाजपेयी की पहचान कानपुर के उभरते हुए समाजसेवी और तथाकथित ब्राह्मण नेता के रूप होने लगी है.
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